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प्रेस विज्ञप्ति 4 अगस्त, 2021

परियोजना पर हस्ताक्षर : विश्व बैंक ने पूरे भारत में मौजूदा बांधों को सुरक्षित और लचीला बनाने के लिए 25 करोड़ डॉलर की परियोजना पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली, 4 अगस्त, 2021 - भारत सरकार, केंद्रीय जल आयोग, 10 भागीदार राज्यों के सरकारी प्रतिनिधियों और विश्व बैंक ने भारत सरकार के दीर्घकालिक बांध सुरक्षा कार्यक्रम का समर्थन करने और भारत के विभिन्न सभी राज्यों में मौजूदा बांधों की सुरक्षा और प्रदर्शन में सुधार के लिए 25 करोड़ डॉलर की एक परियोजना पर हस्ताक्षर किए हैं।

द्वितीय बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना (ड्रिप-2) बांध सुरक्षा दिशानिर्देशों का निर्माण करके, वैश्विक अनुभव लाकर और नवीन तकनीकों को पेश करके बांध सुरक्षा को मजबूत करेगी। परियोजना के तहत परिकल्पित एक अन्य प्रमुख नवाचार, जिससे देश में बांध सुरक्षा प्रबंधन के बदलने की संभावना है, बांध परिसंपत्ति प्रबंधन के लिए एक जोखिम-आधारित दृष्टिकोण की पेशकश है जो प्राथमिक बांध सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए वित्तीय संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित करने में मदद करेगा।

यह परियोजना छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु राज्यों में और राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 120 बांधों में केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के माध्यम से लागू की जाएगी। परियोजना कार्यान्वयन के दौरान अन्य राज्यों या एजेंसियों को परियोजना से जोड़ा जा सकता है।

वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने कहा कि "बांध बिजली उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण और लोगों के पीने, कृषि और औद्योगिक उपयोग के वास्ते जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा प्रदान करते हैं। उनकी संरचनात्मक सुरक्षा और परिचालन प्रबंधन को मजबूत करने से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संभालने के लिए बेहतर लचीलापन निर्मित करने में मदद मिलेगी। भारत सरकार विकास भागीदारों से चरणबद्ध परियोजना समर्थन समेत राष्ट्रीय बांध सुरक्षा कार्यक्रम के लिए वित्तीय संसाधनों के लिए प्रतिबद्ध है।

समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव रजत कुमार मिश्रा; छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु की राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों; और विश्व बैंक की ओर से भारत के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने हस्ताक्षर किए।

विश्व बैंक के भारत में कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा कि "यह दुनिया का सबसे बड़ा बांध प्रबंधन कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य 'निर्माण-उपेक्षा-पुनर्निर्माण' के महंगे चक्र को तोड़ना है, जो विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के संचालन और रखरखाव की विशेषता है"। उन्होंने कहा कि "अपेक्षित परिणाम कायापलट करने वाले होंगे, जैसे : सिंचित कृषि पर निर्भर लाखों भारतीयों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा को बनाए रखना और किसानों को भूजल दोहन से दूर करने में सक्षम बनाना, जिससे ऊर्जा की खपत और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है। यह कार्यक्रम हाइड्रोलिक बुनियादी ढांचे के प्रबंधन की चुनौती से निपटने वाले अन्य देशों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर सकता है।"

भारत में 5,000 से अधिक बड़े बांध हैं जिनकी भंडारण क्षमता 300 अरब घन मीटर से अधिक है। वर्षा, जो मुख्य रूप से मानसून के अल्पकालिक मौसम में तीव्र और अप्रत्याशित बारिश के रूप में होती है, अत्यधिक अस्थायी एवं स्थानिक रूप से बिखरी होती है और साल भर की सिंचाई और पानी की अन्य मांगों को पूरा नहीं करती है। इसे ध्यान में रखते हुए, बांधों में पानी का भंडारण देश के आर्थिक विकास और आजीविका को बनाए रखने के लिए पानी पर निर्भर रहने वाले लाखों लोगों के लिए आवश्यक है। भारत में बाढ़ की औसत वार्षिक लागत 7.4 अरब  अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है और कई बांध बाढ़ को कम करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। उनकी विफलता कमजोर समुदायों के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकती है।

भारत में बांध सुरक्षा के लिए विश्व बैंक के समर्थन में हाल ही में बंद ड्रिप-1 (27.9 करोड़ डॉलर + 6.2 करोड़ डॉलर अतिरिक्त वित्तपोषण) शामिल है, जिसने भारत के छह राज्यों और एक केंद्रीय एजेंसी में 223 बांधों की सुरक्षा और टिकाऊ प्रदर्शन में सुधार किया है।

वरिष्ठ जल संसाधन प्रबंधन विशेषज्ञ चबुंगबाम राजगोपाल सिंह, वरिष्ठ जल अर्थशास्त्री हल्ला महेर कद्दूमी और अग्रणी जल संसाधन प्रबंधन विशेषज्ञ जूप स्टाउटजेस्डिज्क और ड्रिप-2 के कार्यदल अगुवाओं ने कहा कि “ड्रिप-1 परियोजना ने बांध सुरक्षा के लिए संस्थानों की स्थापना, क्षमता निर्माण और प्रक्रियाओं को स्थापित करने में मदद की। इन उपलब्धियों को आगे बढ़ाने के लिए, सबसे अधिक जोखिम वाले बांधों की ओर दुर्लभ धन को प्रवाहित करने के लिए और उपायों की आवश्यकता है। ” उन्होंने बताया कि "ड्रिप-2 परियोजना जोखिम-सूचित बांध सुरक्षा प्रबंधन लागू करेगी, बांध सुरक्षा के वित्तपोषण के लिए टिकाऊ तंत्र स्थापित करेगी, और बांध संपत्तियों के प्रबंधन के लिए संस्थानों की क्षमताओं को बढ़ाएगी।"

ड्रिप-2 द्वारा समर्थन किए जाने वाले अन्य महत्वपूर्ण उपायों में बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली और एकीकृत जलाशय संचालन, जो जलवायु लचीलापन के निर्माण में योगदान देंगे; जलवायु परिवर्तन के संभावित नकारात्मक प्रभावों और जोखिमों के लिए कमजोर डाउनस्ट्रीम समुदायों को तैयार करने और लचीलापन बढ़ाने के लिए आपातकालीन कार्य योजनाओं की तैयारी और कार्यान्वयन; और फ्लोटिंग सोलर पैनल जैसी पूरक राजस्व सृजन योजनाओं का संचालन करना शामिल है।

इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) के 25 करोड़ डॉलर के ऋण की परिपक्वता अवधि 13 वर्ष है, जिसमें 6 वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है।


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