प्रेस विज्ञप्ति

विश्व बैंक द्वारा भारत में माइक्रोफ़ाइनैंस और स्टैटिस्टिकल स्ट्रेन्ग्थेनिंग के लिए सहायता

1 जून, 2010




वाशिंगटन, डी.सी., 1 जून 2010 – आज विश्व बैंक ने भारत के लिए 40.7 करोड़ अमरीकी डॉलर की दो परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की। इसमें व्यावहारिक और ज़िम्मेदाराना माइक्रोफ़ाइनैंस (लघुवित्त) परियोजना के विस्तार के लिए 30 करोड़ अमरीकी डॉलर का क्रेडिट/लोन और स्टैटिस्टिकल स्ट्रेन्ग्थेनिंग (सांख्यिकी सुदृढ़ीकरण) के लिए 10.7 करोड़ अमरीकी डॉलर का लोन शामिल हैं।

हालांकि भारत में भलीभांति विकसित बैंक प्रणाली मौजूद है और बैकिंग के क्षेत्र में सुधारों, कार्यप्रदर्शन तथा स्थिरता की दृष्टि से उल्लेखनीय प्रगति हुई है, ऐसा अनुमान है कि भारत की आबादी के एक उल्लेखनीय भाग की वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सीमित या बिल्कुल भी नहीं है।

विश्व बैंक के वित्तीय क्षेत्र के वरिष्ठ विशेषज्ञ और परियोजना के टीम लीडर नीरज वर्मा ने कहा, “वित्तीय सेवाओं से वंचित भारत के करोड़ों लोगों की वित्त तक पहुंच बनाना एक चुनौती है। हाल के वर्षों में भारत के माइक्रोफ़ाइनैंस सेक्टर का भारी विकास हुआ है और इसने परिवारों और लघु उद्यमों की वित्तीय सेवाओं की मांग और आपूर्ति के बीच अंतर कम करने में काफी अंशदान किया है – लेकिन इस क्षेत्र में अभी काफी कुछ करना शेष रहता है। इस परियोजना से माइक्रोफ़ाइनैंस संस्थाओं को धन मुहैया कराने के अलावा, जिससे इनके कामकाज का दायरा बढ़ सके, खुलापन (ट्रांसपैरेंसी), सुशासन और ज़िम्मेदाराना माइक्रोफ़ाइनैंस को बढ़ावा देने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि माइक्रोफ़ाइनैंस का स्थायी आधार पर फैलाव जारी रहेगा।”

व्यावहारिक और ज़िम्मेदाराना माइक्रोफ़ाइनैंस परियोजना के विस्तार से मिलने वाला धन भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा भारत के माइक्रोफ़ाइनैंस संस्थानों को सुलभ कराया जाएगा, जिसका उद्देश्य है – इनके कामकाज और संवृदधि को समर्थन देना और इनकी वित्तीय क्षमता बढ़ाना। यह परियोजना वित्तीय प्रयासों (पहलकदमियों) को भी समर्थन प्रदान करेगी, जैसे माइक्रोफ़ाइनैंस सूचना मंच की स्थापना तथा माइक्रोफ़ाइनैंस संस्थानों के साथ-साथ क्षमता के गठन और इसकी मॉनिटरिंग के लिए आचार-संहिता के परिपालन को बढ़ावा देना।

इस बीच पिछले एक दशक के दौरान भारत में होने वाले गतिशील आर्थिक और सामाजिक बदलाव से आंकड़ों (जानकारी) के बेहतर ढंग और समय से उपलब्ध होने की आवश्यकता सामने आई है। प्रथम, गतिशील आर्थिक संवृद्धि से संरचनागत परिवर्तन हुए हैं और अर्थव्यवस्था में नए क्षेत्रों का महत्त्व बढ़ा है। दूसरे, आज राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में निजी निवेश और उत्पादन का अंशदान काफी अधिक है। तीसरे, इस बीच राज्य सरकारों की भूमिका में पर्याप्त वृद्धि हुई है और प्रगति बनाए रखने के लिए अधिकांश सुधार राज्यों में ही किए गए हैं। चौथे, हाल के भूमंडलीय आर्थिक संकट के प्रभावों से, जिसका भारत सफलतापूर्वक सामना कर रहा है, यह इस बात की मांग पैदा हुई है कि इसके प्रभाव के बारे में सही-सही आंकड़े सुलभ हों। 

विश्व बैंक की वरिष्ठ अर्थशास्त्री और परियोजना की टीम लीडर फ़राह ज़हीर ने कहा, “इन सभी परिवर्तनों से संबंधित जानकारी का सांख्यिकी प्रणाली द्वारा संकलित किया जाना ज़रूरी है, जिससे सभी स्तरों पर कारगर नीति का समर्थन करने और फ़ैसले लेने के लिए आवश्यक आंकड़े सुलभ हो सकें। तीव्र आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन को मापने के लिए, सुधारों के प्रभाव को मॉनिटर करने तथा राज्यों और केन्द्र दोनों में नीति में होने वाले परिवर्तनों को कैलिब्रेट करने के लिए एक नवीकृत और आधुनिक सांख्यिकी प्रणाली का होना ज़रूरी हो गया है।”

स्टैटिस्टिकल स्ट्रेन्ग्थेनिंग लोन से राष्ट्रीय नीति के ढांचे के अंतर्गत राज्य की सांख्यिकी प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए भारत सरकार के संस्थागत और नीति-आधारित सुधारों को समर्थन मिलेगा। इससे राज्य और केन्द्र-शासित क्षेत्र प्रमुख सांख्यिकी गतिविधियों से संबंधित सामान्य राष्ट्रीय मानकों की दिशा में प्रगति कर सकेंगे तथा केन्द्र और राज्यों के स्तर पर इनकी तथा अन्य दूसरे आंकड़ों की विश्वसनीयता, सामयिकता और शुद्धता में सुधार कर सकेंगे।

व्यावहारिक और ज़िम्मेदाराना माइक्रोफ़ाइनैंस परियोजना के विस्तार के लिए 10 करोड़ अमरीकी डॉलर का क्रेडिट इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईडीए) द्वारा मुहैया कराया जाएगा, जो विश्व बैंक की कंसेशनरी लेंडिंग ऑर्म (ऋण देने वाली एक संस्था) है। इस पर 0.75 प्रतिशत का सेवा शुल्क देय होगा। इसके लिए 10 वर्ष की ग्रेस अवधि होगी और यह 35 वर्षों में देय होगा।

व्यावहारिक और ज़िम्मेदाराना माइक्रोफ़ाइनैंस परियोजना के विस्तार के लिए 20 करोड़ अमरीकी डॉलर का लोन इंटरनेशनल बैंक फ़ॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) द्वारा मुहैया कराया जाएगा। यह 25 वर्षों में देय होगा, जिसमें 14.5 वर्ष की ग्रेस अवधि शामिल है।

स्टैटिस्टिकल स्ट्रेन्ग्थेनिंग के लिए आईबीआरडी से मिलने वाले 10.7 करोड़ अमरीकी डॉलर का लोन 30 वर्षों में देय है, जिसमें 5 वर्ष की ग्रेस अवधि भी शामिल है।

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