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Results Briefs3 नवंबर, 2023

भविष्य में कार्यबल को कुशल और समावेशी बनाने की दिशा में भारत के प्रयासों का समर्थन

The World Bank

सिमो परियोजना की प्रत्यक्ष लाभार्थी रितुजा, एक उच्च पहुंच वाले स्टेकर का संचालन करती है। फोटो: महिंद्रा लॉजिस्टिक्स सुविधा

 

सार

विश्व बैंक देश के तेज़ी से बढ़ते हुए युवा कार्यबल को भविष्य की अर्थव्यवस्था की ज़रूरतों के अनुसार कौशल प्रदान करने के भारत के प्रयासों का समर्थन कर रहा है। विश्व बैंक ने स्किल इंडिया मिशन ऑपरेशन (SIMO) में 25 करोड़ डॉलर का निवेश किया है, जो कौशल विकास मंत्रालय और राज्य कौशल विकास मिशन द्वारा संचालित है। इसके तहत देश भर में जिला कौशल विकास समितियों की स्थापना की गई है जो युवाओं, ख़ासकर कमज़ोर और पिछड़े समुदाय के लोगों में व्यावसायिक और वाणिज्यिक कौशल विकास में योगदान दे रहे हैं। स्किल इंडिया मिशन ऑपरेशन की मदद से लगभग 60 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है, इनमें में 34 प्रतिशत महिलाएं हैं। कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण पाने वाले युवाओं में से 40 प्रतिशत लोग छह महीने के भीतर ही वैतनिक काम पाने में सफ़ल रहे।

महाराष्ट्र के नासिक में, SIMO के तहत चलाई जा रही एक अनूठी पहल ने 20 ट्रांसजेंडर लोगों के जीवन में बदलाव लाने में सहायता की है, जहां उन्हें ब्यूटीशियन के तौर पर प्रशिक्षित किया गया है।   जिला समाज कल्याण विभाग ने उद्यम स्थापित करने में मदद के लिए इन लाभार्थियों को ब्यूटी टूलकिट का वितरण किया।  इन लाभार्थियों में से एक, तानाजी को संपर्क और संचार कौशल का लाभ उठाने का मौका मिला, जिसके कारण वह दुल्हन के मेकअप से जुड़े कई बड़े ऑर्डर हासिल कर पा रही हैं।  वह अब वित्तीय रूप से सुरक्षित हैं और व्यावसायिक रूप से काफ़ी सफ़ल हैं।  इससे SIMO के तहत चलाई जा रही पहलों की परिवर्तनकारी क्षमता का पता चलता है।

तानाजी कहती हैं, "इसे प्रशिक्षण से मुझे ब्यूटीशियन के रूप में अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का आत्मविश्वास मिला।  और अब मैं मेहंदी लगाने, पार्टियों और दुल्हन का मेकअप करने जैसे ऑर्डर मिलने के कारण अच्छी खासी आय कमा पा रही हूं। "

चुनौतियां

भारत की तेजी से बढ़ती आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा 35 से कम आयु का है और उनमें आधुनिक अर्थव्यवस्था में योगदान देने लायक कौशल का अभाव है। कौशल विकास कार्यक्रम परंपरागत रूप से केंद्र द्वारा तय किए गए लक्ष्यों और वित्तीय अनुदानों द्वारा चलाए जाते रहे हैं। कौशल विकास क्षेत्र में एक ऐसे नए अल्पकालिक दृष्टिकोण को अपनाए जाने की ज़रूरत है जो बाज़ार की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप हो और उद्योगों द्वारा प्रमाणित हो। मौजूदा व्यवस्था के आपूर्ति-आधारित मॉडल को मांग-आधारित मॉडल में  बदलने के लिए कौशल योग्यता ढांचे, प्रशिक्षकों से जुड़े मानकों को तय करने, डेटा/सूचना पोर्टल और विकेंद्रीकृत योजना को नियंत्रित करने वाले संस्थागत तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि देश कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभावों से उभर रहा है।

दृष्टिकोण

स्किल इंडिया मिशन ऑपरेशन (SIMO) कौशल विकास मंत्रालय और विश्व बैंक का संयुक्त प्रयास है जिसमें बैंक ने 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर का वित्तीय निवेश किया है। SIMO कौशल विकास के लिए संस्थागत तंत्र के निर्माण, गुणवत्ता में वृद्धि और बाज़ार की आवश्यकताओं के अनुकूल प्रशिक्षण कार्यक्रमों को चलाने पर ज़ोर देता है। यह रणनीतिक रूप से उभरते हुए क्षेत्रों जैसे संचालन व्यवस्था, बैंकिंग, वित्त, बीमा और हरित रोज़गार के अवसरों पर ध्यान केंद्रित करता है। इसका उद्देश्य कौशल विकास के लिए नीतियों में सुधार और योग्यता के राष्ट्रीय पैमाने और गुणवत्ता आश्वासन तंत्र को मजबूत करके ऐसे एक कौशल विकास व्यवस्था का निर्माण करना है जो अल्पकालिक लक्ष्यों को पूरा करती हो। इसके अलावा, यह कौशल विकास कार्यक्रमों के वित्तपोषण, वितरण, मूल्यांकन और प्रमाणन (जो प्रशिक्षुओं, विशेष रूप से महिलाओं और कमज़ोर वर्गों को मान्यता देता है ताकि वे श्रम बल का हिस्सा बन सकें ) के लिए राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर क्षमता निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

SIMO ने गुणवत्ता को सुनिश्चित करने, बाज़ार तंत्र से जोड़ने और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए राज्य प्रोत्साहन अनुदान (SIG) तंत्र की शुरुआत की है, जिसके तहत बेहतर राज्यों के प्रदर्शन के आधार पर अनुदान प्रदान किया जाता है। कोरोना संकट और व्यापक स्तर पर लोगों के पलायन को देखते हुए, SIMO ने ग्राम पंचायत के स्तर पर रोज़गार और कौशल को जोड़ने के लिए एक संस्थागत ढांचे की नींव रखी, जिसके तहत पहले से मौजूद सेवाओं और कार्यक्रमों को शामिल किया गया। इसमें पूर्व शिक्षण को मान्यता (RPL) और औपचारिक प्रमाणीकरण शामिल हैं। जिला कौशल समितियों के माध्यम से विकेंद्रित सेवा वितरण प्रणाली का संचालन किया जाता है, जिससे विभिन्न हितधारकों के बीच संपर्क और बाज़ार तंत्र से जुड़ाव को बढ़ावा मिलता है।

महात्मा गांधी नेशनल फेलो (भारतीय प्रबंधन संस्थानों से स्नातक किए हुए छात्र) जिला-स्तर पर काम करते हैं, जहां कई मंत्रालय विभिन्न क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के स्थानीय उद्यमों में काम कर रहे प्रशिक्षुओं को नए बाजारों से जोड़ा जा सके।

The World Bank
Trainees receiving practical learning at a skills center in Okhla Delhi. Photo: Enrico Fabian/World Bank

परिणाम (2018 और 2022 के बीच)

कमज़ोर वर्ग के युवाओं को लक्षित करते हुए, विशेष रूप से सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्यमों में श्रम बल की बढ़ती ज़रूरतों को देखते हुए अल्पकालिक कौशल विकास को बढ़ावा दिया गया था। SIMO के तहत लगभग 60 लाख युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिसमें से 34 प्रतिशत महिलाएं हैं और कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण पाने वाले युवाओं में से 40 प्रतिशत लोग छह महीने के भीतर ही वैतनिक काम पाने में सफ़ल रहे।

बाज़ार के अनुकूल कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए एक विकेंद्रित योजना मॉडल को लागू किया गया, जिसके तहत देश के सभी जिलों में 700 से ज्यादा जिला कौशल समितियां स्थापित की गईं। इस परियोजना के तहत लगभग 33,000 प्रशिक्षकों और 19,000 मूल्यांकनकर्ताओं को प्रशिक्षित और प्रमाणित किया गया।

160 से अधिक ऐसे योग्यता मानकों का विकास किया गया है, जो बाज़ार की ज़रूरतों पर आधारित हैं और राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF) के साथ संरेखित हैं। इसमें किसी पद विशेष से जुड़ी शिक्षा, शिक्षण सामग्री और प्रशिक्षण दस्तावेज और अन्य महत्त्वपूर्ण सूचनाएं शामिल हैं, जो लोगों को पद संबंधी दायित्वों के लिए तैयार करने के लिए आवश्यक हैं।

SIMO के तहत स्किल इंडिया पोर्टल का विकास किया गया है, जहां प्रशिक्षुओं से जुड़ी सूचनाएं जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रशिक्षण केंद्रों के प्रामाणिक और मान्यता प्राप्त होने संबंधी सूचना, औद्योगिक मानकों के अनुरूप प्रमाणन संस्थाओं, और प्रशिक्षित शिक्षकों, मूल्यांकनकर्ताओं, मूल्यांकन और प्रमाणन जैसी गुणवत्ता संबंधी जानकारियां उपलब्ध हैं।

 

विश्व बैंक का योगदान

इस उद्यम के लिए विश्व बैंक ने 2017 में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय को 25 करोड़ डॉलर का ऋण प्रदान किया है। जिसकी मदद से भारत सरकार ने इस क्षेत्र में निवेश के लिए अब तक 38 अरब डॉलर का वित्तपोषण जुटाया है।

 

साझेदार

SIMO ने कौशल विकास क्षेत्र में सर्वोत्तम अभ्यासों के विकास के लिए ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए कोरिया, इथियोपिया, घाना, नाइजीरिया, सेनेगल, रवांडा और तंजानिया के साथ वैश्विक साझेदारी स्थापित की है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरा है।

कोरिया-वर्ल्ड बैंक पार्टनरशिप फैसिलिटी (KWPF) ने SIMO में 75 लाख डॉलर का निवेश किया है, जिससे मुख्य रूप से कोरिया के मानव संसाधन कार्यक्रमों और भारत के कौशल विकास मंत्रालय के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला है।

इस परियोजना से जुड़े अन्य साझेदारों में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम और 38 क्षेत्र कौशल परिषदें (उद्योग-विशेष) शामिल हैं।

 

आगे की दिशा

SIMO ने जिला कौशल समितियों (DSC) के माध्यम से संस्थागत ढांचे को मजबूत करने में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों को प्रोत्साहन दिया है। जिला-स्तर पर, कौशल की कमी और मांग का अनुमान लगाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और हितधारकों को एक साथ लाने के लिए जिला कौशल समितियां महत्त्वपूर्ण हैं। जिला कौशल समितियां कार्यक्रम की अवधि बीत जाने के बाद भी स्थानीय स्तर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों में श्रम बल की ज़रूरत को पूरा करने के लिए उचित सहयोग प्रदान करेंगी।

इस परियोजना ने स्किल इंडिया पोर्टल के माध्यम से केंद्र और राज्य कौशल विकास योजनाओं से जुड़ी प्रबंधन सूचना प्रणालियों को एकीकृत किया है। इस पर अल्पकालिक कौशल विकास से जुड़े सभी कार्यक्रमों की जानकारियां उपलब्ध हैं। सुव्यवस्थित और आसानी से उपलब्ध सूचनाएं सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों को निर्णयन प्रक्रिया में डाटा-संचालित दृष्टिकोण को अपनाने में मदद करेंगी।