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प्रेस विज्ञप्ति

विश्व बैंक व्यावहारिक और ज़िम्मेदाराना लघु वित्त परियोजना के विस्तार के लिए 300 करोड़ डॉलर मुहैया कराएगा

9 जुलाई, 2010




नई दिल्ली, 9 जुलाई, 2010: आज यहां भारत सरकार, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और विश्व बैंक के प्रतिनिधियों ने व्यावहारिक और ज़िम्मेदाराना लघु वित्त परियोजना के विस्तार के लिए 30 करोड़ डॉलर के एक क्रेडिट और लोन समझौते पर हस्ताक्षर किए।

उक्त समझौते पर भारत सरकार की ओर से संयुक्त सचिव श्री अनूप के. पुजारी, सिडबी के उप-प्रबंध निदेशक  श्री राकेश तिवारी और विश्व बैंक के भारत-स्थित कंट्री डाइरेक्टर एन. रॉबर्टों ज़ाघा ने हस्ताक्षर किए।

व्यावहारिक और ज़िम्मेदाराना लघु वित्त परियोजना के विस्तार के लिए दी जाने इस धनराशि का इस्तेमाल सिडबी द्वारा भारतीय लघु-वित्त संस्थानों को धन मुहैया कराने के लिए किया जाएगा। इन संस्थानों को दिए जाने वाले इस धन का उद्देश्य इनके कामकाज में मदद तथा इनकी वित्तीय क्षमता का विस्तार करने के साथ-साथ ऐसी संस्थाओं को निजी कमर्शियल धन सुलभ कराना है, जिन्हें पर्याप्त मात्रा में धन सुलभ नहीं है। इस परियोजना से ज़िम्मेदाराना वित्तीय प्रयासों को भी मदद मिलेगी, जैसे लघु-वित्त सूचना मंच की स्थापना, लघु-वित्त संस्थानों द्वारा आचार-संहिता के परिपालन को बढ़ावा देने के साथ-साथ क्षमता के गठन और मॉनिटरिंग में मदद करना।

हालांकि भारत में सुविकसित बैंक प्रणाली मौजूद है और बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों, कार्य-प्रदर्शन तथा स्थिरता लाने की दृष्टि से उल्लेखनीय प्रगति हुई है, देश की आबादी के काफी बड़े भाग की वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सीमित या बिल्कुल भी नहीं है।

विश्व बैंक के वित्तीय क्षेत्र के वरिष्ठ विशेषज्ञ और परियोजना के टीम लीडर नीरज वर्मा ने कहा है, ‘‘वित्त की कमी का सामना करने वाले लाखों व्यक्तियों की इस तक पहुंच बनाना एक चुनौती बना हुआ है। हाल के वर्षों में भारत के लघु वित्त क्षेत्र का काफी विकास हुआ है और इसने परिवारों तथा लघु उद्यमों की वित्तीय सेवाओं की मांग और इसकी आपूर्ति के बीच अंतर कम करने में अंशदान किया है, इसके बावजूद इस क्षेत्र में काफी कुछ करना शेष रहता है। यह परियोजना विशेषकर लघु वित्त संस्थानों की अपने कामकाज का विस्तार करने में मदद करने के लिए वित्त सुलभ कराने के अलावा खुलेपन (ट्रांसपैरेंसी), सुशासन और ज़िम्मेदाराना लघु-वित्त को भी बढ़ावा देगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लघु वित्त का व्यावहारिक ढंग से प्रसार हो रहा है।’’

जबकि व्यावहारिक और ज़िम्मेदाराना लघु वित्त परियोजना के विस्तार के लिए दी जाने वाली 10 करोड़ डॉलर की धनराशि आईडीए (इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन) द्वारा दिया जाने वाला क्रेडिट है, जिस पर 0.75 प्रतिशत सेवा शुल्क देय है और जिसकी ग्रेस अवधि 10 वर्ष तथा मैच्योरिटी अवधि 35 वर्ष है, इस परियोजना के लिए सुलभ कराई जाने वाली 20 करोड़ डॉलर की शेष धनराशि इंटरनेशनल बैंक फ़ॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) द्वारा दिया जाने वाला लोन है। 14.5 वर्ष की ग्रेस अवधि के साथ इसकी मैच्योरिटी अवधि 25 वर्ष है।

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