प्रेस विज्ञप्ति

विश्व बैंक द्वारा भारत में तटवर्ती क्षेत्र-प्रबंधन और जल क्षेत्र में सुधार के लिए सहायता

15 जून, 2010




वाशिंगटन, डी.सी., 15 जून, 2010: आज विश्व बैंक ने भारत के लिए 37.2 करोड़ अमरीकी डॉलर की दो परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की। इनमें एकीकृत तटवर्ती क्षेत्र-प्रबंधन परियोजना के लिए आईडीए का 22 करोड़ 20 लाख अमरीकी डॉलर का क्रेडिट और इन दिनों चालू कर्णाटक ग्रामीण जल आपूर्ति और सफ़ाई परियोजना के लिए अतिरिक्त वित्त के तौर पर आईडीए का 15 करोड़ अमरीकी डॉलर का क्रेडिट शामिल है।

तेज़ी से बढ़ते हुए शहरी-औद्योगीकरण तथा तटवर्ती जोखिमों की वजह से भारत के अनोखे और सागरीय पारिस्थितिकी संसाधनों पर भारी दबाव पड़ रहा है, जिसकी वजह से निचले तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लगभग 6.3 करोड़ व्यक्तियों के जीवन के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है। भारत सरकार ने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा तथा इनका संरक्षण तथा तटवर्ती इलाकों के समुदायों की आजीविका को सुरक्षित करने के लिए तटवर्ती इलाकों के नियोजन और प्रबंधन की भागीदारी पर आधारिक एकीकृत, लेकिन विकेन्द्रीकृत प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया है।

एकीकृत तटवर्ती क्षेत्र-प्रबंधन परियोजना से समुचित संस्थागत प्रणालियों तथा क्षमता के गठन के साथ-साथ जानकारी सुलभ कराने के लिए आवश्यक उन्नत प्रणालियों का गठन करने में भी मदद मिलेगी। परियोजना के इस दृष्टिकोण का तीन तटवर्ती राज्यों गुजरात, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल में प्रयोग करने में भी मदद मिलेगी, जिसके दौरान राज्य-स्तर पर क्षमता के गठन के लिए चुने हुए तटवर्ती क्षेत्रों में प्रायोगिक आधार पर स्थानीय तौर पर पूरक निवेश किए जाएंगे। इन निवेशों में कच्छ वनस्पति-रोपण, कोरल रीफ़ (प्रवाल-भित्तियों, मूंगे की चट्टानों) को पुनरुज्जीवित करना, तटों की सफ़ाई, सीवरेज और सॉलिड वेस्ट का प्रबंधन, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण तथा तटवर्ती समुदायों की आजीविकाओं का संवर्द्धन करने जैसी अनेक गतिविधियां शामिल हैं।

विश्व बैंक के वरिष्ठ पारिस्थितिकी विशेषज्ञ और परियोजना के टीम लीडर तापस पॉल ने कहा है, ‘‘अन्य चीज़ों के अलावा परियोजना से जोखिम की संभावनाओं और पारिस्थितिकी की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों का पता लगाने और इनके नक़्शे तैयार करने, स्थायी आधार पर तटवर्ती इलाकों के प्रबंध के लिए विश्व-स्तरीय राष्ट्रीय केन्द्र स्थापित करने और एकीकृत तटवर्ती क्षेत्र के प्रबंधन से संबंधित योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी - जिनमें से प्रत्येक देश के दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिहाज़ से महत्त्वपूर्ण होगी। परियोजना-संबंधी गतिविधियां इस तरह तैयार की गई हैं, जिनसे सभी पक्षकारों (स्टेकहोल्डर्स) के बीच एकीकृत और संयुक्त गतिविधियों के परिणाम सामने आएंगे और इसका उद्देश्य यह होगा कि इन परिणामों का राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर भावी उपलब्धियां हासिल करने के लिए अनुकरण किया जा सकेगा।’’

कर्णाटक ग्रामीण जल-आपूर्ति और सफ़ाई परियोजना (कर्णाटक रूरल वाटर सप्लाई एंड सैनिटेशन स्कीम - केआरडब्ल्यूएसएस) ग्रामीण समुदायों की उन्नत और स्थाई आधार पर पेय जल तथा सफ़ाई सेवाओं तक बेहतर पहुंच बनाने के लिए कर्णाटक सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में मदद करने के विश्व बैंक के दीर्घकालिक कार्यक्रम का अंग है। वर्ष 1993 से बैंक-समर्थित भागीदारी पर आधारित दो परियोजनाओं से 23 ज़िलों के 4,166 गांवों में ग्रामवासियों को अपनी स्वयं की जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना बनाने, इनका निर्माण और संचालन करने में मदद मिल चुकी है।

15 करोड़ अमरीकी डॉलर के अतिरिक्त वित्त से इन दिनों चालू दूसरी कर्णाटक ग्रामीण जल-आपूर्ति और सफ़ाई परियोजना (जो वर्ष 2001 में स्वीकृत हुई थी) के कार्य का अन्य 1,650 गांवों तक विस्तार किया जाएगा, जिससे लगभग चालीस लाख अतिरिक्त लोगों को कारगर और भरोसेमंद जल-आपूर्ति सुलभ हो होगी। यह परियोजना लगभग पचास लाख लोगों को स्वच्छ पेय जल पहुंचा चुकी है और परियोजना के अंतर्गत गांवों में ऐसे परिवारों का प्रतिशत अब 12 से बढ़कर 47 हो गया है, जिनके पास निजी जल-आपूर्ति कनेक्शन हैं।

विश्व बैंक के वरिष्ठ जल और सफ़ाई विशेषज्ञ तथा परियोजना के टीम लीडर ओस्कर ऐल्वेरेडो ने कहा है, ‘‘इन परियोजनाओं के परिणामों ने ग्रामीण जल आपूर्ति और सफ़ाई सेवाओं के सफलतापूर्ण विकेन्द्रीकरण की दिशा में कर्णाटक सरकार का मार्गप्रशस्त किया है। परियोजना क्षेत्र की ग्राम पंचायतों को मुख्य भूमिका सौंपी गई है और ग्रामीण जल-आपूर्ति और सफ़ाई समितियों के साथ-साथ इन्हें भी अधिकारिकता प्रदान की गई है, ताकि ये फ़ैसले कर सकें, सामग्री खरीद सकें, निर्माण कार्य और वित्त का प्रबंध कर सकें।’’

इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईडीए) से मिलने वाले इस क्रेडिट पर 0.75 प्रतिशत का सेवा शुल्क देय है। 10 वर्ष की ग्रेस अवधि वाले इस क्रेडिट की मैच्योरिटी अवधि 35 वर्ष है।

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