Skip to Main Navigation
मुख्य कहानी

भारत विकास अद्यतन (इंडिया डेवलपमेंट अपडेट): अक्टूबर 2013

16 अक्तूबर, 2013

Image


विश्व बैंक के अक्टूबर 2013 के इंडिया डेवलपमेंट अपडेट में कहा गया है कि हालांकि विश्व के बाज़ारों में हाल की उथल-पुथल से भारत की बृहत्-आर्थिक कमज़ोरियां उभर कर सामने आई हैं, देश की समृद्धि की भारी संभावनाएं मौजूद हैं। बेशक, मौजूदा आर्थिक उथल-पुथल भारत को और अधिक सुधारों के ज़रिए अपनी संवृद्धि को गतिशील बनाने का अवसर प्रदान करती है, जिनसे व्यावसायिक परिवेश में सुधार होगा, बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र में मजबूती आएगी, बुनयादी ढांचे की कमी घटेगी और वित्तीय स्पेस बढ़ेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दो वर्षों में संवृद्धि में धीरे-धीरे गतिशीलता आने से भारत के बृहत्-आर्थिक परिवेश में सुधार होने की आशा है। वित्तीय वर्ष 2014 की अंतिम छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी आने की आशा है, हालांकि आर्थिक सुधार की रफ़्तार पर देश की मौजूदा कमज़ोरियों (वल्नरेबिलिटीज़)–बहुत अधिक मुद्रास्फ़ीति, चालू खाते में अधिक घाटा और रुपये के मूल्य में गिरावट आने सेराजकोषीय संतुलन पर बढ़ता हुआ दबाव–का असर पड़ सकता है। इसके बावजूद बुनियादी स्फ़ीति (इन्फ़्लेशन) में कमी आ रही है, कृषि क्षेत्र में भारी पैदावार होने की आशा है और निर्यात से रुपये का मूल्य घट जाने की वजह से उल्लेखनीय लाभ होने की आशा है। लेकिन अन्य दूसरे विकासशील देशों की मुद्राओं के डॉलर के मुक़ाबले कमज़ोर हो जाने की वजह से निर्यात की प्रतिस्पर्द्धात्मकता (कम्पेटिटिवनेस) में स्थाई रूप से सुधार करने के लिए नीति-संबंधी प्रयास करने की ज़रूरत होगी, ताकि विश्व में उत्पन्न होने वाले अवसरों का पूरी तरह लाभ मिल सके। 

रिपोर्ट से पता चलता है कि संवृद्धि ग़रीबी दूर करने में अधिक कारगर रही है। वर्ष 2005 से 2012 के बीच भारत ने 13.7 करोड़ लोगों को ग़रीबी से निकाला और ग़रीबी की दर घटकर 22% रह गई। इसमें यह भी बताया गया है कि ग़रीबी में यह कमी अधिकतर कम आमदनी वाले राज्यों में हो रही है और 40% सर्वाधिक ग़रीब संवृद्धि के लाभों में भागीदारी कर रहे हैं। दूसरी ओर, असमानता में भी वृद्धि जारी है–गिनी कोएफ़िशिएंट (गिनी का गुणांक), जो वर्ष 2005 में 30.9 था, 2012 में बढ़कर 32.3 हो गया–निचले 40% की संवृद्धि अभी तक पूरी तरह औसत संवृद्धि तक नहीं पहुंची है। भारत की आधे से अधिक आबादी ग़रीबी की पहली तथा दूसरी रेखाओं के बीच रह रही है और छोटे-मोटे झटकों की वजह से हाल ही में ग़रीबी से बाहर निकले लोगों के दोबारा ग़रीबी में फंस जाने की आशंका है।


Api
Api

Welcome