जून 23, 2010: में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में विश्व बैंक द्वारा भारत को दिए जाने वाले ऋण 9.3 अरब डॉलर के होंगे, इनमें से 2.6 अरब डॉलर आईडीए (अंतरराष्ट्रीय विकास संस्था) द्वारा ब्याज मुक्त साख के रूप में थे एवं 6.7 अरब डॉलर आइबीआरडी (अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक) द्वारा दीर्घकालीन, निम्न ब्याज वाले ऋणों के रुप में थे।
हालांकि भारत की 10.2 खरब डॉलर अर्थव्यवस्था के सम्मुख यह एक छोटी रकम है, किंतु पिछले वर्ष बैंक द्वारा भारत को दिए गए 2.2 अरब डॉलर ऋण के मुकाबले यह बढत खासी है (बैंक द्वारा भारत को दिए जाने वाले ऋणों की औसत 2.5-3 अरब डॉलर प्रतिवर्ष रही है), और यह विश्व बैंक के इतिहास में किसी भी देश को दिया गया सबसे बडा वार्षिक ऋण है।
भारत पर बढ़ते ऋण के परिणामस्वरूप इसके कार्य पर दोहरा असर पड़ा है – पहला नवंबर 2008 सम्मेलन के दौरान G 20 से मार्गदर्शन प्राप्त करना जब अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों ने इसकी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के वित्तीय पोषण के लिए आगे आए। बैंक इस चुनौती के लिए आगे आए और जुलाई 2008 तक 120 अरब डॉलर देने की वैश्विक प्रतिबद्धता जताई। इस तरह से भारत पर बढ़ते हुआ ऋण एक वैश्विक रुझान का हिस्सा बना।
एक अन्य कारक का संबंध भारत की तेजी से बढती अर्थव्यवस्था की मांगों से है जिसे 40 करोड लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिये 8-10% की टिकाऊ वृद्धि दर की आवश्यकता है। उदाहरणार्थ, भारत सरकार का अनुमान है कि उसे वर्तमान पंचवर्षीय में केवल अधोसंरचना के लिये ही 50 करोड डॉलर की आवश्यकता होगी। साथ ही, पिछले कुछ वर्षों से चीन तथा भारत जैसे देश अतिरिक्त अधोसंरचना ऋण की मांग कर रहे हैं, और बैंक इस मांग की पूर्ति के लिये सतत प्रयासरत है।
बैंक को भारत के साथ अपने रिश्ते और भी मजबूत बनाते हुए हर्ष हो रहा है, क्योंकि उसका मानना है कि भारत द्वारा अपनाए जा रहे विकास के उपायों से विश्व भर के देश बहुत कुछ सीख सकते हैं।
भारत को ऋण के मुख्य क्षेत्र
भारत में विश्व बैंक के संसाधन हमेशा भारत सरकार की पंचवर्षीय योजना में वर्णित प्रधानताओं तथा विश्व बैंक की भारत के लिए देशगत रणनीति के आधार पर नियत किये जाते हैं। इस वर्ष, भारत सरकार के विशेष अनुरोध पर बैंक ने 3 अरब डॉलर भारत द्वारा वैश्विक वित्तीय संकट के उत्तर में घरेलू उपायों को आधार देने के लिये नियत किये हैं। इसमें भारत सरकार द्वारा कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की पूंजी बढाने हेतु 2 अरब डॉलर का पैकेज शामिल है, जिससे वे अपनी साख का विस्तार जारी रख सकें और पूंजी की कमी का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर न पडे।
इस वर्ष हमारे दो सबसे बडे ऋण महत्वपूर्ण अधोसंरचना के विकास में योगदान देंगे। इनमें से भारत अधोसंरचना वित्त कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसाएल) को दिया गया 1.2 अरब डॉलर का एक ऋण सडक, बिजली, हवाई अड्डे तथा बंदरगाहों जैसे क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिए निजी निवेश को बढावा देगा।
देश की राष्ट्रीय विद्युत वितरण कंपनी पॉवरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को दिया गया 1 अरब डॉलर का एक अन्य ऋण देश में बिजली की अधिकता वाले क्षेत्रों से बिजली की कमी वाले क्षेत्रों की ओर बिजली भेजने के लिये कंपनी को अपनी प्रमुख वितरण प्रणालियों को मजबूत बनाने में मदद देगा।
2.6 अरब डॉलर के ब्याज मुक्त साख वाले ऋण सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सिंचाई, पेयजल तथा स्वच्छता जैसी सार्वजनिक सेवाओं के गुणवत्ता सुधार में मदद देगा। इसमें भारत के प्राथमिक शिक्षा के प्रमुख कार्यक्रम सर्व शिक्षा अभियान के लिये 75 करोड डॉलर और तेजी से बदलते बाजार क्षेत्र के लिये जरूरी निपुणता विकसित करने के लिये भारत के इंजिनियरों की मदद हेतु 30 करोड डॉलर शामिल हैं।
अन्य ऋण भारत के चुनिंदा शहरों में परिवहन के टिकाऊ उपाय खोजने तथा लागू करने के लिये, स्थानीय निवासियों का रोजगार सुरक्षित रखते हुए तटीय क्षेत्रों के संरक्षण के लिये, औद्योगिक प्रदूषणग्रस्त क्षेत्रों से निपटने की क्षमता निर्माण के लिये, चक्रवातों से नुकसान का खतरा कम करने के लिये तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की ऊर्जा कार्यकुशलता बढाने के लिये हैं।
भविष्य के ऋण
भविष्य को देखते हुए भारत सरकार ने विश्व बैंक से कुछ बडी परिवर्तनकारी परियोजनाओं में, साथ ही गरीबों की जीवन शैली में उन्नति करने वाली आईडीए की मदद प्राप्त कुछ नव-आविष्कारक योजनाओं की सफलता को आगे बढाने में शामिल होने का अनुरोध किया है। उसके द्वारा प्रस्तावित बडी परिवर्तनकारी परियोजनाओं में माल परिवहन समर्पित मार्ग (डीएफसी), जिसमें भारत के व्यस्त पूर्वी क्षेत्र के समानांतर रेलमार्ग डाला जाएगा, तथा महान गंगा को स्वच्छ एवं संरक्षित करने का कार्यक्रम शामिल है। भारत सरकार ने बैंक से कोसी नदी के व्यापक बाढ प्रबंधन कार्यक्रम में भी बिहार सरकार की मदद करने का अनुरोध किया है।
भारत सरकार ने बैंक से आईडीए की मदद प्राप्त कुछ नव-आविष्कारक परियोजनाओं को राष्ट्रीय स्तर तक बढाने में शामिल होने का भी अनुरोध किया है। इन परियोजनाओं में 90 लाख से अधिक महिलाओं तथा उनके परिवार को गरीबी से निकालने वाला आंध्र प्रदेश का एसएचजी-प्रेरित रोजगार कार्यक्रम, और विभिन्न परियोजनाओं के जरिये गाँवों की 20000 किमी सडकों को सुधार कर दूरदराज के क्षेत्रों को स्कूल, स्वास्थ्य केन्द्र, बाजार तथा नौकरियों तक पहुँच दिलाने वाला ग्रामीण सडक कार्यक्रम शामिल है। अब इन दोनों कार्यक्रमों को सरकार ने राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में अपना लिया है और भविष्य में इनकी मदद के लिये बैंक प्रतिबद्ध है।
भविष्य की परियोजनाओं में कई छोटी परियोजनाएँ भी शामिल हैं जो नई पहल की शुरुआत करती हैं, जैसै बेहतर कृषि अधोसंरचना के निर्माण के जरिये महाराष्ट्र के किसानों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार, ग्रामीण बाजारों अर्थात हाटों में सुधार लाना और खेतों-से-सडकों का निर्माण। एक अन्य पथ-प्रदर्शक योजना असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा लाएगी।
विकास पर प्रभाव
विश्व बैंक के ऋणों ने पिछले कई वर्षों में निम्नलिखित परिणाम प्राप्त करने में मदद की है। इनमें से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं:
- सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत प्राथमिक स्कूलों शिक्षा से वंचित 1.9 करोड़ शिक्षा से विमुक्त बच्चे प्राथमिक स्कूलों में नामांकित किए गए।
- महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तराखंड के गांवों में 1.2 करोड़ लोगों को अब स्वच्छ और साफ पीने का पानी प्राप्त हो रहा है।
- पीने के पानी की आपूर्ति दिन में 24 घंटे, सप्ताह में सातों दिन उत्तरी कर्नाटक के (हुबली-धनबाद, बेलगांव और गुलबर्ग) में उपलब्ध है।
- आंध्र प्रदेश, असम, हरयाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं काश्मीर, झारखंड, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 20,000 से अधिक ग्रामीड़ सड़कों का निर्माण किया गया। असम में मुख्य पुल एवं पैदल पथ और पहाड़ी राज्य वाले इलकों में रास्तों का निर्माण भी किया गया।
- पांच बैंकों ने पॉवरग्रिड बनाने में 75,000 सरकिट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनों के बनाने में मदद की है जो अनारक्षित इलाके वाले क्षेत्रों में ऊर्जा-अधिशेष से बिजली प्राप्त की जा सकती है। पॉवरग्रिड के साथ बैंकों की 15-वर्ष की भागीदारी नें वैश्विक दर्जे के इंजीनियरिंग, बिजली योजना और कार्यान्वयन प्रणालियों ने वैश्विक स्तरीय निकाय को बहुत अधिक लाभ में परिवर्तन किया है और विश्व के सबसे बड़े बिजली बिजली पारेषण ऑपरेटरों बन गए हैं।
- आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में लाखों लोगों ने सामुदायिक प्रयासों और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अपनी आय में इज़ाफा किया है। आंध्र प्रदेश अकेले, लगभग 1 करोड़ लोग, जिनमें अधिकांश महिलाएं हैं, ने लगभग 850,000 स्वयं-सहायता समूह बनाए हैं, जिनसे 80.5 करोड़ से अधिक की बचत हुई है। इस निधि का उपयोग छोटे स्तर के उद्यम स्थापित करने और बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य देखभाल के लिए किया गया।