छत्तीसगढ़ में भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा बैटरी संचयन संयंत्र स्थापित किया गया है। 100 मेगावाट की क्षमता वाली यह परियोजना अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसमें 3 घंटे (करीब 40 मेगावाट प्रति घंटा) की बैटरी स्टोरेज की सुविधा है। विश्व बैंक और जलवायु निवेश कोष की सहायता द्वारा इस अभिनव परियोजना में दिन के दौरान उत्पन्न सौर ऊर्जा को बड़ी बैटरियों में संगृहीत किया जाता है। इसी संगृहीत ऊर्जा को शाम के दौरान, जब ऊर्जा की मांग अधिक होती है, उपयोग में लाया जाता है। यह भारत में इतने बड़े पैमाने पर पहली बार किया गया है।
यह संयंत्र 450 एकड़ बंजर भूमि पर स्थित है, ताकि वन और कृषि भूमि को संरक्षित किया जा सके। ऊर्जा उत्पादन को अधिकतम करने के लिए उन्नत सौर मॉड्यूल तकनीक का उपयोग किया गया है। यह पहल 2030 तक अपने ग्रिड में 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा को एकीकृत करने के भारत के लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना देश भर में भविष्य की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एक मिसाल कायम करती है और छत्तीसगढ़ को इस क्षेत्र में अग्रणी बनाती है।