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प्रेस विज्ञप्ति22 जुलाई, 2025

विश्व बैंक की नई रिपोर्ट के अनुसार भारत के पास उन्नतशील शहरी विकास को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण अवसर है

The World Bank

विश्व बैंक

नई दिल्ली, 22 जुलाई, 2025- विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय शहरों में आर्थिक विकास के केंद्र के रूप में अपार संभावनाएं हैं और सन 2030 तक 70 प्रतिशत नई नौकरियां शहरों से आएंगी। तथापि, शहरों को भीषण  मौसम की  घटनाओं के प्रभावों से निपटने और भविष्य में अरबों डॉलर के नुकसान से बचने के लिए समय पर कार्रवाई की आवश्यकता है।

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के साथ मिलकर तैयार की गई टुवर्ड्स रेसिलिएंट एंड प्रोस्पेरोउस सिटीज इन इंडिया (भारत में समुत्थानशील और समृद्ध शहरों की ओर) नामक शीर्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की शहरी आबादी के सन 2050 तक लगभग दोगुनी होकर 951 मिलियन हो जाने की उम्मीद है, और इसके लिए सन 2070 तक 144 मिलियन से अधिक नए घरों की ज़रूरत होगी। साथ ही, तीव्र गर्म हवाएं और शहरी तप्त द्वीप प्रभाव पहले से ही शहरी केंद्रों के तापमान को आसपास के इलाकों की तुलना में 3-4 डिग्री से ज़्यादा बढ़ा रहे हैं। निर्मित क्षेत्रों का तीव्र विकास शहरों की तूफानी जल को सोखने की क्षमता को भी कम कर रहा है, जिससे उन क्षेत्रों में बाढ़ की संभावनाएं बढ़ रही हैं।

चेन्नई, इंदौर, नई दिल्ली, लखनऊ, सूरत और तिरुवनंतपुरम पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए, 24 भारतीय शहरों का अध्ययन करने वाली नई रिपोर्ट में पाया गया है कि समय पर अनुकूलन से भविष्य में मौसम के प्रभावों से होने वाले अरबों डॉलर के वार्षिक नुकसान को टाला जा सकता है।  उदाहरण के लिए वार्षिक वर्षाजन्य बाढ़ से होने वाले नुकसान को वर्ष 2030 तक 5 बिलियन डॉलर से अधिक और वर्ष 2070 तक 30 बिलियन डॉलर से अधिक  टाला जा सकता है। अनुकूलन में निवेश से वर्ष 2050 तक अत्यधिक गर्मी के प्रभावों से 130,000 से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकेगी।

सन 2050 तक अपेक्षित 50 प्रतिशत से अधिक शहरी बुनियादी ढांचे का निर्माण भी किया जाना है, इसलिए भारत के पास उन्नतशील शहरी बुनियादी ढांचे के विकास को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा कि “भारत के लिए बड़े पैमाने पर समुत्थानशील शहरों का निर्माण करना स्पष्ट रूप से अनिवार्य है। आवास, परिवहन और नगरपालिका सेवाओं सहित अधिक हरित और स्थिति अनुकूलित शहरी विकास में निवेश करके, शहरों में अत्यधिक गर्मी और शहरी बाढ़ की स्थिति को बेहतर ढंग से कम किया जा सकता है और रोज़गार में वृद्धि की जा सकती है तथा नए रोजगारों का सृजन किया जा सकता है।”

भारतीय शहरों की तत्काल मदद करने तथा निचले तबके की आबादी की सहायता करने के लिए, इस रिपोर्ट में निम्न प्रमुख सिफारिशें की गई हैं:

  1. अत्यधिक शहरी गर्मी और बाढ़ की समस्या दूर करने के लिए कार्यक्रमों को लागू करना, जिसमें तूफानी जल और हरित  पट्टी का बेहतर विनियमन, ठंडी छतों की स्थापना और प्रभावी पूर्व चेतावनी प्रणालियां शामिल हैं।
  2. स्थिति अनुकूलित बुनियादी ढांचे और नगरपालिका सेवाओंकुशल ऊर्जा और समुत्थानशील आवास में निवेश करना, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का आधुनिकीकरण करना और शहरी परिवहन को बाढ़ प्रतिरोधी बनाना।
  3. निजी क्षेत्र की बेहतर भागीदारी के माध्यम से शहरी वित्त तक पहुंच में सुधार करना।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि शहरों में नए,  स्थिति अनुकूलित और कम कार्बन उत्सर्जन वाले बुनियादी ढांचे और सेवाओं की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सन 2050 तक 2.4 ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा के निवेश की ज़रूरत होगी। इस निवेश को पूरा करने में निजी क्षेत्र की भूमिका अहम होगी।

रिपोर्ट की सह-लेखिका अस्मिता तिवारी और नात्सुको किकुताके ने कहा कि “कई भारतीय शहर अनुकूलन उपायों में सुधार, अच्छी पद्धतियों के लाभ और स्थिति अनुकूलित शहरी विकास की दिशा में तेजी से कार्रवाई करने के उपाय बता रहे हैं। समय पर किए गए हस्तक्षेप से भारत के शहरों को जान-माल की सुरक्षा जारी रखने, नए व्यवसायों और नौकरियों को आकर्षित करने और नवाचार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।”

रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे भारत के कई शहर समुत्थान के लिए पहले से ही तात्कालिक कदम उठा रहे हैंअहमदाबाद में एक हीट एक्शन प्लान मॉडल विकसित किया है जिसका उद्देश्य प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को मजबूत करना, स्वास्थ्य देखभाल सुविधा में सुधार करना, हरित पट्टी को बढ़ाना और बाहरी श्रमिकों के लिए कार्यसूची में बदलाव करना है। कोलकाता में एक शहर-स्तरीय बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली सुलभ की गई है। इंदौर में आधुनिक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली में निवेश किया गया है, जिससे स्वच्छता में सुधार हुआ है और हरित रोजगार को बढ़ावा मिला है। चेन्नई में संपूर्ण जोखिम मूल्यांकन के आधार पर जलवायु कार्य योजना लागू है तथा अनुकूलन और निम्न-कार्बन विकास दोनों को लक्षित किया गया है।

इस रिपोर्ट को मल्टी-डूनर ट्रस्ट फंड, ग्लोबल फैसिलिटी फॉर डिजास्टर रिडक्शन एंड रिकवरी (जीएफडीआरआर) द्वारा समर्थन दिया गया था।

संपर्क

नई दिल्ली
सुदीप मोजूमदर
+91-11-41479210
वाशिंगटन
डायना चुंग
+1 202 473 8357

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