वाशिंगटन, 23 जून, 2025 — विश्व बैंक के कार्यपालक निदेशक मंडल ने भारत के दक्षिण राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में 40 लाख से अधिक निवासियों के लिए जल सुरक्षा में सुधार हेतु एक नए कार्यक्रम को मंजूरी दी है।
भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाले शहरों में बेंगलुरु एक है। जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और अत्यधिक मौसम की घटनाओं के प्रति सहनशीलता इसके बढ़ते जनसंख्या और विस्तारित अर्थव्यवस्था की मांगों को पूरा करने में मदद करेगी। कर्नाटक में 2009 से लगातार बाढ़ और सूखे की स्थिति बनी हुई है, जिससे प्रत्येक प्रभावित वर्ष में अनुमानित औसत नुकसान 120 करोड़ डॉलर से अधिक है। इन घटनाओं का प्रभाव बेंगलुरु जैसे आर्थिक केंद्र और उसके आसपास के क्षेत्रों में महसूस किया जा रहा है, जहां आधारभूत संरचना और मकानों पर प्रभाव पड़ा है।
42.6 करोड़ डॉलर की लागत वाला कर्नाटक जल सुरक्षा एवं प्रतिरोधक क्षमता कार्यक्रम (कर्नाटक वाटर सिक्योरिटी एंड रेजिलिएनस प्रोग्राम) से शहर की 183 झीलों को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी, जो भारी वर्षा के दौरान प्राकृतिक स्पंज का काम करती हैं। कार्यक्रम में मल्ल को झीलों और नालों में जाने से रोकने के लिए नौ सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) का भी निर्माण किया जाएगा। इस तरह के अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों के लिए, साथ ही बेंगलुरु क्षेत्र में भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए भी किया जाएगा। इसके अलावा, 100,000 से अधिक घरों को पहली बार सीवरेज कनेक्शन मिलेगा।
भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा कि "इस कार्यक्रम से बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के राजस्व में वृद्धि होगी और 50 लाख डॉलर की निजी पूंजी एकत्रित की जाएगी। इससे कार्यकुशलता में सुधार होगा, पुराने पानी की पाइपों को बहाल किया जाएगा और स्मार्ट वाटर मीटर जैसे नए उपकरण बनाने के लिए निजी क्षेत्र का उपयोग किया जाएगा,"
बेंगलुरू में बढ़ते हुए खतरनाक मौसम की घटनाएं आर्थिक विकास की गति के लिए चुनौतियां बन रही हैं। यह कार्यक्रम उनसे बचाने में भी मदद करेगा । यह कार्यक्रम बाढ़ मॉडलिंग का विकास और क्रियान्वयन करेगा, जो कम्प्यूटर सिमुलेशन का उपयोग करके यह पूर्वानुमान लगाएगा कि बाढ़ कहाँ, कब और कैसे आ सकती है। इससे शहर की अनुकूलन क्षमता में भविष्य में निवेश के लिए मदद मिलेगी।
इस कार्यक्रम के टास्क टीम लीडर क्रिस्टोफर वेल्सियन और अनूप कारंत के अनुसार "यह कार्यक्रम कर्नाटक राज्य प्राकृतिक आपदा निगरानी केंद्र को मजबूत करके प्रारंभिक मौसम सम्बन्धी चेतावनी प्रणालियों और उसकी प्रतिक्रिआओं के माध्यम से लोगों की मदद करेगा।"
अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (आईबीआरडी) से प्राप्त 42.6 करोड़ डॉलर के ऋण की परिपक्वता अवधि 20 वर्ष है तथा इसमें 5 वर्ष की छूट अवधि शामिल है।