12 दिसंबर, 2024 - विश्व बैंक के कार्यपालक निदेशक मंडल ने आज उत्तर प्रदेश (यूपी) में उन्नत फसल उत्पादकता, डिजिटल प्रौद्योगिकियों और जलवायु अनुकूल पद्धतियों को अपनाने और सशक्त बाजार संपर्कों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक नई परियोजना को मंजूरी दे दी। इस परियोजना का उद्देश्य इन पहलों का समर्थन करने के लिए निजी वित्त में 1.5 करोड़ डॉलर का लाभ उठाना भी है।
पिछले दशक में, यूपी का कृषि उत्पादन लगातार बढ़ा है, जिससे देश गेहूं उत्पादन में अग्रणी हो गया है, चावल उत्पादन में दूसरे स्थान पर और तीसरा सबसे बड़ा कृषि निर्यातक बन गया है। हालांकि, छोटे किसानों को कम उत्पादकता और फसल कटाई के बाद अपर्याप्त बुनियादी सुविधाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी आय सीमित होती रहती है। इसके अलावा, छोटे भूस्वामियों के पास निवेश और आधुनिक प्रौद्योगिकियों तक सीमित पहुंच है।
32.5 करोड़ डॉलर की उत्तर प्रदेश कृषि विकास और ग्रामीण उद्यम पारिस्थिति की तंत्र सुदृढ़ीकरण (यूपी-एग्रीज़) परियोजना कृषि मूल्यों को मजबूत करेगी, वित्त तक पहुंच में सुधार करेगी और मूल्य संर्धन के अवसर पैदा करेगी। इसके अलावा, किसान क्रेडिट कार्ड (ई केसीसी) जैसे ऋण तक पहुंच को अधिक सामयिक, किफायती और पारदर्शी बनाने के लिए नवीन वित्तीय उपकरण लॉन्च किए जाएंगे। इस परियोजना से पूर्वी उत्तर प्रदेश और राज्य के बुन्देलखण्ड क्षेत्रों के दस लाख उत्पादकों को लाभ होगा।
विश्व बैंक के भारत में कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा है कि "यह परियोजना कम मीथेन वाले चावल की किस्मों, चावल के अवशेषों को इकट्ठा करके बायोगैस में बदलने और उर्वरक के अनुकूलित उपयोग जैसी टिकाऊ या संधारणीय पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम होगा और उत्पादकता बढ़ेगी। यह परियोजना जलवायु अनुकूलन नीतियों में सरकारी अधिकारियों और किसानों की क्षमता सृजन के लिए एक समर्पित केंद्र भी स्थापित करेगी।"
यह परियोजना डिजिटल सेवाओं और कृषि वित्त के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में मदद करेगी। यह निजी क्षेत्र की संस्थाओं को बाजार-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से समाधान प्रदान करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी। यह कृषि वस्तुओं और मत्स्य पालन के लिए भौगोलिक समूहों की मदद करेगा - उत्पादकों, कृषि व्यवसायों और सार्वजनिक संस्थानों के नेटवर्क - सभी एक ही उपक्षेत्र में लगे हुए हैं। यह ग्रेटर नोएडा के जेवर हवाई अड्डे के पास प्रस्तावित एकीकृत कृषि-निर्यात केंद्र के लिए भी सहायता प्रदान करेगा।
परियोजना के टास्क टीम लीडर विनायक घटाटे, एंड्रयू गुडलैंड और हर्ष झांजरिया ने कहा है कि "यह परियोजना विशेष रूप से महिला किसान और उद्यमियों के साथ जलवायु-आधारित और अत्याधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने, फार्मगेट बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और स्थानीय और वैश्विक स्तर पर बाजार संपर्क को मजबूत करने के लिए काम करेगी। इससे उत्पादकता में सुधार, रोजगार सृजन और आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।"
यह परियोजना अपनी पहलों के समर्थन के लिए फ्रांस, इज़राइल और गेट फाउंडेशन की सरकारों सहित विभिन्न स्रोतों से संसाधनों का लाभ उठाएगी। अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (आईबीआरडी) से प्राप्त 32.5 करोड़ डॉलर के ऋण की अंतिम परिपक्वता अवधि 33.5 वर्ष है, जिसमें 6 वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है।