प्रेस विज्ञप्ति26 नवंबर, 2024

त्रिपुरा और नागालैंड राज्यों में वनों को पुनर्जीवित करने और जलवायु सहनशीलता बढ़ाने के लिए विश्व बैंक की नई परियोजना

The World Bank

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नई दिल्ली, 26 नवंबर, 2024 -  विश्व बैंक के कार्यपालक  निदेशक मंडल ने  त्रिपुरा और नागालैंड राज्यों के 400 से अधिक गांवों में वन परिदृश्यों को बेहतर करने और वन मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ाने के लिए एक नई परियोजना को मंजूरी दी है जो 700,000 से अधिक लोगों को प्रभावित करेगी ।

नागालैंड और त्रिपुरा की लगभग 15 लाख हेक्टेयर वन भूमि राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होने के साथ आदिवासी आबादी को आजीविका प्रदान करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । लेकिन पिछले एक दशक में वन भूमि क्षेत्र में घटाव के कारण,  जैव विविधता और वन-आश्रित समुदायों को खतरे का अनुभव किया है । 

22.5 करोड़ डॉलर की लागत वाली लैंडस्केप और इकोसिस्टम मैनेजमेंट (ELEMENT) परियोजना 100,000 हेक्टेयर से अधिक वनों को संरक्षित और पुनर्स्थापित करने में मदद करेगी। आर्थिक परिवर्तन के लिए लैंडस्केप-आधारित मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा मिलेगा और प्रति वर्ष लगभग 435,000 टन कार्बन उत्सर्जन से बचा जा सकेगा। परियोजना मृदा संरक्षण को भी मजबूत करने के साथ जल उपलब्धता में सुधार करेगी।

भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा, "यह परियोजना गैर-लकड़ी आर्थिक गतिविधियों में निजी क्षेत्र संचालित रोजगार सृजन के लिए वनों का लाभ उठाने, जंगल की कार्बन सिंक क्षमता को बढ़ाने और अंततः त्रिपुरा और नागालैंड में आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण में योगदान देने में मदद करेगा।  

एलिमेंट परियोजना का उद्देश्य निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी कर अगरवुड, बांस और शहद जैसे वन उत्पादों के माध्यम से समुदायों के लिए आर्थिक अवसर पैदा करना है। यह राष्ट्रीय उद्यानों और संरक्षित क्षेत्रों को बढ़ाने के साथ-साथ प्रकृति आधारित पर्यटन सुविधाओं को विकसित करने में भी मदद करेगा।

इस परियोजना का उद्देश्य वन आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देकर करीब 60,000  युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार पैदा करेगा । इसमें आतिथ्य और प्रकृति गाइडों के लिए प्रशिक्षण जैसे क्षेत्र के  कौशल प्रशिक्षण शामिल हैं ।  यह परियोजना वन प्रबंधन पर एक एकीकृत और समग्र परिदृश्य दृष्टिकोण अपनाएगी।

परियोजना के टास्क टीम लीडर पीयूष डोगरा और राज गांगुली ने कहा, "इसमें पारंपरिक वनों के अलावा घास के मैदान, आर्द्रभूमि और कृषि भूमि जैसे क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है, ताकि सामुदायिक लाभ को अधिकतम किया जा सके। इससे ग्रामीण और वन-आश्रित समुदायों की जलवायु के प्रति सहनशीलता में सुधार होगा तथा उनकी आजीविका में वृद्धि होगी।”

इसी प्रकार की गतिविधियों के लिए विश्व बैंक ने मेघालय राज्य को हाल ही में 4.3 करोड़ डॉलर का वित्तपोषण दिया था ।

अंतरराष्‍ट्रीय  पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक/ विश्‍व बैंक  (आईबीआरडी) से प्राप्त ऋण की अंतिम परिपक्वता अवधि 12 वर्ष है, जिसमें 4.5 वर्ष की छूट अवधि है। परियोजना को 0.24  करोड़ डॉलर की राशि में पूरक वैश्विक भागीदारी के लिए सतत एवं अनुकूलित परिदृश्य (प्रोग्रीन) अनुदान से भी लाभ होगा।

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