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प्रेस विज्ञप्ति16 जून, 2023

भारत के केरल राज्य में जलवायु लचीलापन बनाने के लिए विश्व बैंक ने अतिरिक्त वित्तपोषण की मंजूरी दी

The World Bank

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वाशिंगटन, 16 जून, 2023 – प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तनप्रभाव और रोग प्रकोप के विरुद्ध भारत के केरल राज्य की तैयारी को मजबूत बनाना जारी रखते हुए विश्व बैंक के निदेशक मंडल ने आज लचीला केरल कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए 15 करोड़ डॉलर के ऋण को मंजूरी दी। यह अतिरिक्त वित्तपोषण तटीय कटाव और जल संसाधन प्रबंधन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में केरल के लचीलेपन को और गहरा करेगा।

एक तटीय राज्य होने के कारण केरल प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित है। 2021 में, राज्य में बाढ़ और भूस्खलन के परिणामस्वरूप कई जानें गयीं और लगभग 10 करोड़ डॉलर की क्षति हुई। इस तरह की बारम्बार आने वाली आपदाओं ने वंचित समूहों, विशेष रूप से महिला किसानों एवं मछुवारिनों की आजीविका पर विनाशकारी असर डाला है।

यह वित्तपोषण बैंक के 12.5 करोड़ डॉलर के पूर्व निवेश का पूरक है और दोनों परियोजनाओं के समग्र समर्थन से करीब 50 लाख लोगों के बाढ़ के प्रभाव से सुरक्षित होने की उम्मीद है।

विश्व बैंक के भारत के लिए कंट्री निदेशक अगस्टे तानो कौउमे ने कहा कि “इस अतिरिक्त वित्तपोषण के जरिए विश्व बैंक जलवायु परिवर्तन के प्रति केरल के लचीलेपन को बढ़ाने में मदद करना जारी रखेगा।” उन्होंने कहा कि “परियोजना लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले राज्य के कमजोर क्षेत्रों के साथ-साथ तटीय कटाव का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।”

निरंतर शहरीकरण और वनों की कटाई के कारण केरल की 580 किलोमीटर की तटरेखा के 45 प्रतिशत हिस्से का क्षरण हो रहा है। पम्बा नदी के बेसिन के ऊपरी जिलों और नदियों में भारी बारिश कहर फैला रही है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि यहां 1925 से 2012 के बीच वन क्षेत्र में 44 प्रतिशत से अधिक गिरावट आयी, जबकि बसावट में 400 प्रतिशत की वृद्दि हुई।

अतिरिक्त वित्तपोषण तटरेखा प्रबंधन योजना बनाकर तटीव कटाव के प्रभावों को कम करने के लिए राज्य के लचीलेपन को विस्तारित और गहरा करेगा। योजना वर्तमान एवं भावी तटरेखा परिवर्तनों का आकलन करेगी और तट पर स्थित पर्यावरणीय संसाधनों, मानव बसावट एवं बुनियादी ढांचे के जोखिमों का समाधान करने के लिए नीतियां बनाएगी।

वर्ष 2018 की विनाशकारी बाढ़ एवं भूस्खलन के बाद, विश्व बैंक ने केरल की अर्थव्यवस्था को झटकों का प्रत्युत्तर देने और जीवन, संपत्ति एवं आजीविका को सुरक्षित करने के लिए राज्य की क्षमताओं का निर्माण करने में निवेश किया था। कार्यक्रम ने पम्बा नदी बेसिन के उन्नत प्रबंधन, सतत एवं जलवायु लचीली कृषि, जोखिम-सूचित भूउपयोग और स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन नियोजन समेत राज्य में महत्वपूर्ण नीति एवं संस्थागत सुधारों का समर्थन किया।

अतिरिक्त संसाधन अब हॉटस्पॉट और कमजोर तटीय कटाव स्थलों का पता करेंगे जहां तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भविष्य में बाढ़ से होने वाली क्षति को न्यूनतम करने के लिए पम्बा नदी बेसिन के लिए एक एकीकृत नदी बेसिन प्रबंधन योजना विकसित करने में भी मदद करेगा और नदी एवं झील तटबंधों की बहाली का समर्थन करेगा।

परियोजना प्राकृतिक खतरों के प्रति लोगों की कमजोरी को कम करने के लिए राज्य के सार्वजनिक डेटा एवं डिजिटल प्रणाली में अंतराल को भरने में मदद के लिए एक जलवायु बजट और रोडमैप विकसित करने में राज्य की सहायता करेगी। फिलहाल उपग्रह मानचित्र, जोखिम मानचित्र क्षेत्रवार डेटा एकल प्लेटफॉर्म पर एकीकृत नहीं हैं जिसके परिणआमस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश की योजना एवं कार्यान्वयन में एक अंतराल है।

परियोजना के लिए टास्क टीम लीडर्स अलिफ अहान, बालकृष्ण मेनन परमेश्वरन, नत्सुके किकुताके और दीपक सिंह ने कहा कि "अतिरिक्त वित्तपोषण से राज्य में मूल कार्यक्रम का दायरा चार से नौ तटीय जिलों तक करने में मदद मिलेगी।” उन्होंने कहा कि "यह वित्तपोषण, राज्य की तकनीकी क्षमताओं का निर्माण करके योजना बनाने, बजट बनाने और कार्यान्वयन पहलकदमियां करने की इसकी योग्यता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करेगा जो जलवायु लचीलापन हासिल करने में केरल की मदद करेगा।"

अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (आईबीआरडी) से इस 15 करोड़ डॉलर के ऋण की अंतिम परिवपक्वता 14 वर्ष होगी जिसमें छह वर्ष की छूट अवधि शामिल है।

संपर्क

वाशिंगटन में
डायना चुंग
दिल्ली में
शिल्पा बनर्जी

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