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प्रेस विज्ञप्ति4 अप्रैल, 2023

विश्व बैंक की नयी रिपोर्ट: वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच निरंतर लचीली बनी हुई है भारतीय अर्थव्यवस्था

नई दिल्ली, 4 अप्रैल, 2023 – विश्व बैंक ने  छमाही प्रमुख प्रकाशन, भारत विकास अपडेट के अपने नवीनतम अंक में कहा है कि विकास में नरमी के कुछ संकेतों के बावजूद भारत की विकास दर लचीली बनी हुई है।

अपडेट में कहा गया है कि हालांकि वैश्विक वातावरण में महत्वपूर्ण चुनौतियां बनी हुई हैं, फिर भी भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। कुल मिलाकर विकास मजबूत बना हुआ है और वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान वास्तविक जीडीपी में वर्ष दर वर्ष 7.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ पूरे वर्ष के लिए विकास दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही में नरमी के कुछ संकेत थे। सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने और विशेषकर उच्च आयवर्ग के निजी उपभोग में तेजी से प्रेरित मजबूत निवेश गतिविधियों के जरिए विकास दर को बल मिला। वित्त वर्ष 2022-23 में मुद्रास्फीति औसतन 6.7 प्रतिशत के आसपास बनी रही, लेकिन सेवा निर्यात में मजबूत वृद्धि और वैश्विक कमोडिटी कीमतों में नरमी के कारण चालू खाते का घाटा तीसरी तिमाही में कम हो गया।

विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी अनुमान को 6.6 प्रतिशत (दिसंबर 2022) से संशोधित कर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। धीमी खपत वृद्धि और चुनौतीपूर्ण बाहरी परिस्थितियों के कारण विकास बाधित होने की उम्मीद है। बढ़ती उधारी लागत और धीमी आय वृद्धि से निजी उपभोग वृद्धि पर असर पड़ेगा और महामारी से संबंधित राजकोषीय समर्थन उपायों को वापस लेने के कारण सरकारी खपत धीमी गति से बढ़ने का अनुमान है।

भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगुस्ट तानो कुआमे ने कहा कि, "भारतीय अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों के प्रति मजबूत लचीलापन दिखा रही है।" उन्होंने कहा कि, 'बाहरी दबावों के बावजूद भारत के सेवा निर्यात में वृद्धि जारी है और चालू खाते का घाटा कम हो रहा है।"

हालांकि प्रमुख मुद्रास्फीति बढ़ी हुई है, लेकिन वैश्विक कमोडिटी कीमतों में नरमी और घरेलू मांग में कुछ कमी के बीच वित्त वर्ष 2023-24 में इसके औसतन 5.2 प्रतिशत तक गिरने का अनुमान है। भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दर को बढ़ाकर मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए उदार उपायों को वापस ले लिया है। परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार और निजी क्षेत्र की मजबूत ऋण वृद्धि से भारत का वित्तीय क्षेत्र भी मजबूत बना हुआ है।

केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य को हासिल करने की संभावना है और राज्य सरकार के घाटे में एकत्रीकरण  के साथ सामान्य सरकारी घाटे में भी गिरावट का अनुमान है। परिणामस्वरूप, ऋण-जीडीपी अनुपात स्थिर होने का अनुमान है। सेवा निर्यात में तेजी और वस्तु व्यापार घाटे में कमी के कारण बाह्य मोर्चे पर चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2022-23 के अनुमानित 3 प्रतिशत से घटकर जीडीपी के 2.1 प्रतिशत तक आ जाने का अनुमान है।

विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री और रिपोर्ट के मुख्य लेखक ध्रुव शर्मा ने कहा, 'अमेरिका और यूरोप के वित्तीय बाजारों में हालिया घटनाक्रमों से भारत समेत उभरते बाजारों में अल्पकालिक निवेश प्रवाह के लिए जोखिम पैदा हुआ है।" उन्होंने कहा कि, 'लेकिन भारतीय बैंकों के पास अच्छी पूंजी है।"

दृष्टिकोण

संकेतक (प्रतिशत y-o-y, जब तक अन्यथा संकेत न दिया गया हो)

वित्त वर्ष 2019/20

वित्त वर्ष 2020/21

वित्त वर्ष 2021/22

वित्त वर्ष 2022/23

वित्त वर्ष 2023/24

स्थिर बाजार मूल्यों पर वास्तविक जीडीपी वृद्धि

3.9

-5.8

9.1

6.9

6.3

  निजी उपभोग

5.2

-5.2

11.2

8. 3

6.9

  सरकारी उपभोग

3.9

-0.9

6.6

1.2

-1.1

  सकल स्थिर पूंजी निर्माण

1.1

-7.3

14.6

10.1

9. 3

  निर्यात, माल और सेवाएं

-3.4

-9. 1

29.3

11.5

9.2

  आयात, माल और सेवाएं

-0.8

-13. 7

21.8

19. 0

11.6

 

 

 

 

 

 

स्थिर कारक कीमतों पर वास्तविक जीडीपी वृद्धि

3.9

-4. 2

8.8

6.6

6.3

  कृषि

6.2

4.1

3.5

3.2

3.4

  उद्योग

-1.4

-0.9

11.6

3.6

6.8

  सेवाएं

6.4

-8.2

8.8

9. 5

6. 7

 

   

 

 

मुद्रास्फीति (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक)

4.8

6.2

5.5

6.6

5.2

 

   

 

 

चालू खाता शेष (जीडीपी का प्रतिशत)

-0.9

0.9

-1.2

-3. 0

-2. 1

 

 

 

 

 

 

राजकोषीय शेष (जीडीपी का प्रतिशत)

-7.2

-13.3

-10. 5

-9. 4

-8. 7

ऋण (जीडीपी का प्रतिशत)

73.6

87.5

85.4

83.0

83.4

प्राथमिक शेष (जीडीपी का प्रतिशत)

-2.5

-7.8

-5.2

-4.2

-3.3

संपर्क

वाशिंगटन में
डायना चुंग
+1 202 473 8357
दिल्ली में
शिल्पा बनर्जी
+91-11-41479220

अगस्टे तानो कौमे, भारत के लिए विश्व बैंक के देश निदेशक, कहते हैं, "भारत बाहरी झटकों के प्रति मजबूत लचीलापन दिखाता है, बुनियादी ढांचे में मजबूत निवेश और मजबूत सेवा निर्यात द्वारा समर्थित है।"

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