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प्रेस विज्ञप्ति3 मार्च, 2023

विश्व बैंक ने महामारी की तैयारी और बेहतर स्वास्थ्य सेवा वितरण के लिए भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 1 अरब डॉलर के कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए

The World Bank

नई दिल्ली, 3 मार्च, 2023 –भारत सरकार और विश्व बैंक ने आज भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए दो 50 करोड़ डॉलर के स्वास्थ परियोजनाओं  के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।  एक  अरब डॉलर के इस संयुक्त वित्तपोषण के जरिए, बैंक भारत के प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) का समर्थन करेगा, जिसे अक्टूबर 2021 में देश भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए लागू किया गया था। राष्ट्रीय स्तर के हस्तक्षेपों के अलावा, इनमें से एक ऋण आंध्र प्रदेश, केरल, मेघालय, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सहित सात राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण को प्राथमिकता देगा।

इस समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव रजत कुमार मिश्रा और विश्व बैंक के भारत के कंट्री डायरेक्टर ऑगुस्ट तानो कुआमे ने हस्ताक्षर किए।

ऑगुस्ट तानो कुआमे ने कहा कि, "कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में महामारी की तैयारी और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर किया है, और यह एक स्पष्ट अनुस्मारक था कि महामारी की तैयारी एक वैश्विक सार्वजनिक भलाई है।" उन्होंने कहा कि, "यह दो परियोजनाएं भविष्य की महामारियों के खिलाफ देश की स्वास्थ्य प्रणालियों का लचीलापन और तैयारियों को बढ़ाने के भारत के निर्णय का समर्थन कर रही हैं। यह परियोजनाओं में भाग लेने वाले राज्यों की आबादी के लिए बहुत लाभकारी होगा और अन्य राज्यों के लिए सकारात्मक स्पिलओवर उत्पन्न करेगा।“

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत के प्रदर्शन में समय के साथ सुधार हुआ है। विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार, भारत की जीवन प्रत्याशा (1990 में 58 से बढ़कर 2020 में 69.8 हो गई है) देश के आय स्तर के औसत से अधिक है। पांच साल से कम उम्र की मृत्यु दर (36 प्रति 1,000 जीवित जन्म), शिशु मृत्यु दर (30 प्रति 1,000 जीवित जन्म), और मातृ मृत्यु अनुपात (103 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म), ये सभी भारत के आय स्तर के औसत के करीब हैं, जो कुशल जन्म देखभाल, टीकाकरण, और अन्य प्राथमिकता सेवाओं तक पहुंच में महत्वपूर्ण उपलब्धियों को दर्शाते हैं।

भारतीय आबादी के स्वास्थ्य में इस प्रगति के बावजूद, कोविड-19 ने मुख्य सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों के पुनरोद्धार, सुधार और क्षमता विकसित करने साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा वितरण की गुणवत्ता और व्यापकता में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

विश्व बैंक के मानव विकास के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय निदेशक लिन शेरबर्न-बेंज ने कहा, "दोनों कार्यक्रम अधिक सुलभ, उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं के विकास का समर्थन करने के लिए केंद्र और राज्यों दोनों की अनूठी ताकत का लाभ उठाते हैं।" उन्होंने कहा कि "मजबूत रोग प्रतिक्रिया पर ध्यान देने के साथ स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने से बीमारी के भावी प्रकोप की तैयारी और प्रतिक्रिया में सुधार होगा।"

50 करोड़ डॉलर का पब्लिक हेल्थ सिस्टम्स फॉर पैन्डेमिक प्रिपेयर्डनेस प्रोग्राम (पीएचएसपीपी), सरकार के इन प्रयासों का समर्थन करेगा :

  • संभावित अंतरराष्ट्रीय स्तर की चिंताजनक महामारियों का पता लगाने और रिपोर्ट करने, त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने और रोगजनकों के उद्भव को रोकने के लिए तैयार रहने के लिए भारत की निगरानी प्रणाली को तैयार करना;
  • जूनोटिक रोगों सहित रोगजनकों का पता लगाने के लिए भारत की क्षमता में वृद्धि करना, भारत की जैव-सुरक्षा प्रतिक्रिया को सूचित रखना और संक्रामक रोगों को रोकने, पता लगाने या इलाज करने के लिए और नई प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण; और
  • कार्यक्रम को लागू करने और उच्च गुणवत्ता वाले परिणाम देने के लिए प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों के बीच समन्वय को मजबूत करना और उनकी संस्थागत क्षमता का निर्माण करना।

50 करोड़ डॉलर का इन्हैन्स्ड हेल्थ सर्विस डिलीवरी प्रोग्राम (ईएचएसडीपी) सरकार के इन प्रयासों का समर्थन करेगा :

  • पुन: डिज़ाइन किए गए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल मॉडल के जरिए सेवा वितरण को मजबूत करना, जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं तक बेहतर घरेलू पहुंच, घरों के नियमित दौरों के जरिए प्रत्येक घर और इसकी प्राथमिक देखभाल सुविधा के बीच मजबूत संबंध बनाना और गैर-संचारी रोगों का जोखिम मूल्यांकन शामिल है;
  • सभी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्लूसी) में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाणीकरण का समर्थन करके देखभाल की गुणवत्ता में सुधार, रोगी अनुभव सहित देखभाल की गुणवत्ता के लिए मापन उपकरणों को लागू करना, और सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए राज्य-विशिष्ट मानव संसाधन रणनीतियों को अपनाकर स्वास्थ्य कार्यबल को मजबूत करना; तथा
  • कार्यान्वयन क्षमता को मजबूत करके, जिला स्तर पर प्रदर्शन मापन और पुरस्कारों को बढ़ाकर, और राज्यों के बीच सीखने और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर स्वास्थ्य क्षेत्र के शासन और जवाबदेही का कायाकल्प।

पीएचएसपीपी और ईएचएसडीपी, दोनों परिणाम के लिए कार्यक्रम वित्तपोषण सुविधा का उपयोग करते हैं जो इनपुट के बजाय परिणामों की उपलब्धि पर केंद्रित है। इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) के पीएचएसपीपी और ईएचएसडीपी, दोनों ऋणों की अंतिम परिपक्वता अवधि 18.5 वर्ष है, जिसमें 5 वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है।

संपर्क

नई दिल्ली में
पैट्सी डी'क्रूज़
+91-11-41479108
वाशिंगटन में
डायना चुंग
+1 202 473 8357

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