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प्रेस विज्ञप्ति15 दिसंबर, 2022

विश्व बैंक ने भारत में नवाचारी अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को बढ़ाने के लिए परियोजना पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली, 15 दिसंबर, 2022 - भारत सरकार, सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) और विश्व बैंक ने आज 15 करोड़ डॉलर के आईबीआरडी ऋण, 2.8 करोड़ डॉलर के क्लीन टेक्नोलॉजी फंड (सीटीएफ) ऋण और 2.2 करोड़ डॉलर के सीटीएफ अनुदान समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते से भारत को स्वच्छ, अक्षय ऊर्जा स्रोतों के जरिए अपनी ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह समझौता जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करने के लिए 2030 तक 500 गीगा-वाट अक्षय ऊर्जा के उत्पादन के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव रजत कुमार मिश्रा; एसईसीआई की ओर से निदेशक वित्त सी. कन्नन; और विश्व बैंक के संचालन प्रबंधक और भारत के लिए कार्यवाहक कंट्री डायरेक्टर हिदेकी मोरी ने हस्ताक्षर किए।

हिदेकी मोरी ने कहा, "ऊर्जा के अक्षय स्रोतों की ओर भारत का बढ़ना इसके भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक है।" उन्होंने कहा कि “विश्व बैंक इस बदलाव के दौरान भारत का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह परियोजना इस क्षेत्र में नई तकनीकों को लागू करने में अंतरराष्ट्रीय अनुभव लाएगी और स्वच्छ, अक्षय़ ऊर्जा ईंधन को अपनाने में भारत की प्रगति का समर्थन करेगी।

परियोजना का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों के विश्वास को बढ़ाकर इस क्षेत्र में वाणिज्यिक निवेश की बाधाओं को दूर करना है। यह परियोजना बड़े पैमाने पर नई प्रौद्योगिकियों को लागू करने में आने वाली बाधाओं को दूर करके एसईसीआई की बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने में भी मदद करेगी।

भारत के राज्य छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में बैटरी एनर्जी सोलर सिस्टम्स (बीईएसएस) द्वारा पहली सौर उप परियोजना का निर्माण किया जा रहा है। दूसरी उप-परियोजना जिसमें फ्लोटिंग सौर पैनल होंगे, झारखंड राज्य के गेतलसूद जलाशय में चल रही है।

भारत में वर्तमान में 409 गीगा-वाट से अधिक की स्थापित क्षमता है, जिसमें से अक्षय ऊर्जा (गैर-हाइड्रो) की हिस्सेदारी लगभग 29 प्रतिशत (119.5 गीगा-वाट) है। यह परियोजना टिकाऊ सार्वभौमिक बिजली पहुंच की दिशा में भारत की प्रगति को गति देगी, जो समावेशी आर्थिक विकास उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

वर्ष 2030 तक भारत की स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता और 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एसईसीआई की क्षमता को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। परियोजना एसईसीआई का अन्य बातों के अलावा मानव संसाधन और व्यावसायिक योजना, परियोजना निगरानी, ​​खरीद, वित्तीय और अनुबंध प्रबंधन, पर्यावरण और सामाजिक सुरक्षा उपायों और वित्तीय प्रबंधन के मामले में समर्थन करेगी।

वरिष्ठ ऊर्जा विशेषज्ञ और परियोजना के लिए विश्व बैंक की टास्क टीम की लीडर सुरभि गोयल ने कहा कि  “भारत की ऊर्जा परिवर्तन यात्रा में तेजी लाने के लिए देश के भीतर अक्षय ऊर्जा को मुख्यधारा में लाने के लिए भारत सरकार की नोडल एजेंसी एसईसीआई महत्वपूर्ण है। यह जुड़ाव अपेक्षाकृत बड़े पैमाने पर अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों को लागू करने का प्रयास करता है। इस परियोजना के तहत वित्तपोषित उप-परियोजनाओं का लक्ष्य बिजली की अत्यधिक मांग को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा की स्थापना के जरिए जीवाश्म-ईंधन आधारित बिजली उत्पादन को विस्थापित करना, निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना करना और संस्थागत मजबूती का समर्थन करना है"

इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से 15 करोड़ डॉलर के ऋण की छूट अवधि 5 साल और परिपक्वता अवधि 25 साल की है। क्लीन टेक्नोलॉजी फंड (सीटीएफ) से 2.8 करोड़ डॉलर के ऋण की छूट अवधि 10 साल और परिपक्वता अवधि 40 साल की है। सीटीएफ से 2.2 करोड़ डॉलर का ब्याज मुक्त अनुदान है।

संपर्क

नई दिल्ली में
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वाशिंगटन में
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