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BRIEF11 नवंबर, 2023

भारत के लोगों में जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिरोधक्षमता का निर्माण

पूर्वोत्तर में हिमालय की पर्वतशृंखलाएं और पश्चिम में लंबी तटरेखा से घिरा, भारत का विशाल और विविध भौगोलिक क्षेत्र जलवायु परिवर्तन से  विशेष रूप से प्रभावित है।

भारत के 80 प्रतिशत से अधिक लोग उन जिलों में रहते हैं जो जलवायु-प्रेरित आपदाओं के जोखिम में हैं। बढ़ता तापमान, वर्षा के बदलते पैटर्न, भूजल स्तर में गिरावट, पिघलते ग्लेशियर, तीव्र चक्रवात और समुद्र के स्तर में वृद्धि, आजीविका, खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए बड़े संकट पैदा कर सकते हैं।

शहरी आबादी भी ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों से बच नहीं सकती है। घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र, विशेष रूप से वे जहां अनियोजित शहरीकरण हुआ है, में अत्यधिक गर्मी, बाढ़ और बीमारी के लंबे दौर से खतरा बढ़ जाएगा।

केवल पिछले दशक में, अत्यधिक मौसम की घटनाओं के कारण आर्थिक नुकसान दोगुना हो गया है। इनके और बढ़ने की आशंका है, जिससे देश के समग्र विकास को खतरा होगा।

भारत को जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी प्रतिरोधकता बढ़ाने के लिए, विश्व बैंक देश के साथ सभी क्षेत्रों में काम कर रहा है।

भारत को अपनी जलवायु प्रतिरोधकता को बढ़ाने में मदद करने के लिए, विश्व बैंक व्यापक क्षेत्रों में अनुकूलन और शमन दोनों उपायों को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ काम कर रहा है।
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अगस्त तानो कुआमे
भारत के लिए विश्व बैंक के कंट्री निदेशक
  • The World Bank

    कार्बन उत्सर्जन कम करना

    भारत परिवहन में हरित साधनों का इस्तेमाल बढ़ा रहा है। विश्व बैंक भी अपनी परियोजनाओं के द्वारा एक समर्पित रेल माल ढुलाई गलियारे के निर्माण, गंगा जलमार्ग के विकास और असम और कोलकाता में नौका सेवाओं की बहाली का समर्थन कर रहा ...

  • The World Bank

    घटते वन क्षेत्र को बहाल करना

    विश्व बैंक समुदायों को वन क्षेत्र बहाल करने, पानी की उपलब्धता बढ़ाने और मिट्टी की उत्पादकता में सुधार करने में मदद करके जैव विविधता के संरक्षण के लिए भारत के साथ काम कर रहा है।

  • The World Bank

    जलवायु आधारित कृषि को बढ़ावा देना

    विश्व बैंक भारत को फसल विविधीकरण, नई कृषि तकनीकों और जल प्रबंधन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से प्रभावित छोटे किसानों की प्रतिरोधकक्षमता में मदद कर रहा है।

  • The World Bank

    बड़े बांधों को मजबूत बनाना

    दुनिया के सबसे बड़े बांध पुनर्वास कार्यक्रम के तहत, विश्व बैंक नवीनतम तकनीक का उपयोग करके भारत को लगभग 300 बड़े बांधों को मजबूत और उच्च मानक के अनुरूप सुरक्षित बनाने में मदद कर रहा है।

  • The World Bank

    भूजल का संरक्षण

    दुनिया के सबसे बड़े समुदाय-आधारित भूजल प्रबंधन कार्यक्रम - अटल भूजल योजना - के तहत, विश्व बैंक सात राज्यों में किसानों को उनके जल संसाधनों का बेहतर सञ्चालन करने में मदद कर रहा है।

  • The World Bank

    भारत के तटों की सुरक्षा के लिए मैंग्रोव लगाना

    विश्व बैंक 2010 से मैंग्रोव (कच्छ वनस्पति) लगाकर और प्रजातियों की विविधता बहाल करके अपने पश्चिमी और पूर्वी तटों पर समुदायों की रक्षा के लिए भारत के साथ काम कर रहा है।

  • The World Bank

    बाढ़ संभावित क्षेत्रों को सुरक्षित बनाना

    बिहार और असम में विश्व बैंक बाढ़ के प्रभाव को कम करने में मदद कर रहा है। उदाहरण के लिए, बिहार के कोसी बेसिन में, समुदायों को पहले से सचेत करने के लिए आधुनिक बाढ़ पूर्वानुमान पद्धतियाँ लागू की गई हैं।

  • The World Bank

    सौर ऊर्जा को बढ़ाना

    सौर ऊर्जा की दिशा में भारत के कदम का विश्व बैंक समर्थन कर रहा है। रीवा सोलर पार्क जैसे बड़े सौर पार्कों में निजी निवेश को बढ़ावा देने और सोलर रूफटॉप मार्केट को शुरू करने में मदद कर रहा है।

  • The World Bank

    हरित हाइड्रोजन

    विश्व बैंक देश को हरित हाइड्रोजन विकसित करने में मदद करके भारत के निम्न-कार्बन ऊर्जा परिवर्तन का समर्थन कर रहा है। यह कठिन औद्योगिक क्षेत्रों को कार्बन मुक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

  • The World Bank

    बैटरियों में नवीकरणीय ऊर्जा का भंडारण

    भारत नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति कर रहा है। बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने के लिए, विश्व बैंक भारत को बैटरी में पवन और सौर ऊर्जा के भंडारण में मदद कर रहा है ।

  • The World Bank

    केरल के विकास प्रतिमान पर पुनर्विचार

    विश्व बैंक केरल को उनकी विकास योजनाओं को बेहतर और सुरक्षित बनाने में मदद कर रहा है। वे उन्हें चरम मौसम की घटनाओं के लिए तैयार होने, खेती के लिए सर्वोत्तम स्थानों का पता लगाने और उनकी नदियों की रक्षा करने में मदद कर रहे है...

  • The World Bank

    भविष्य के स्वास्थ्य की सुरक्षा करना

    महामारी और महामारियों को कम करने के लिए, भारत में विश्व बैंक 'एक स्वास्थ्य' नामक एक विशेष दृष्टिकोण का उपयोग कर रहा है जो लोगों, जानवरों और पर्यावरण सभी के स्वास्थ्य को एक साथ देखता है। यह दृष्टिकोण विकासशील देशों का साला...

कार्बन फुटप्रिंट को कम करना

विश्व बैंक परिवहन के हरित साधनों को अपनाने के भारत के प्रयासों का समर्थन कर रहा है। उदाहरण के लिए, यह ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाने में मदद कर रहा है, जो 1,873 किलोमीटर का केवल माल ढुलाई वाला रेलवे ट्रैक है, जहां प्रत्येक विद्युतीकृत ट्रेन 90 से 120 ट्रकों की जगह लेगी, जिससे जीवाश्म ईंधन की खपत कम होगी और उत्सर्जन कम होगा, और लोजिस्टिक्स सेवाओं में सुधार होगा। बैंक भारत के साथ गंगा पर अपना पहला आधुनिक अंतर्देशीय जलमार्ग विकसित करने और असम में ब्रह्मपुत्र और कोलकाता में हुगली पर नौका सेवाओं को पुनर्जीवित करने के लिए भी काम कर रहा है।

घटते वन क्षेत्र को बहाल करना

मध्य प्रदेश के शुष्क जंगलों से लेकर मेघालय की समुदाय-स्वामित्व वाली भूमि तक, विश्व बैंक की परियोजनाएं स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाते हुए जैव विविधता के संरक्षण और कार्बन को अलग करने में मदद कर रही हैं। समुदायें घटते वन क्षेत्र को बहाल करने, जंगल की आग को रोकने और औषधीय और सुगंधित पौधों, जड़ी-बूटियों आदि जैसे वन उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर रहे हैं। मेघालय में, प्राकृतिक भूदृश्य को बहाल करने, शुष्क मौसम में पानी की उपलब्धता बढ़ाने और मिट्टी की उत्पादकता में सुधार करने के लिए विश्व बैंक पारंपरिक आदिवासी संस्थानों के साथ काम कर रहा है।

प्रतिरोधक कृषि को बढ़ावा देना

वर्षा के बदलते पैटर्न और बढ़ते तापमान से भारत की ग्रामीण आबादी के एक बड़े हिस्से की आजीविका और इसकी खाद्य उत्पादन प्रणालियों की स्थिरता को खतरा है। भारत के छोटे किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रति  प्रतिरोधकता बढ़ाने में मदद करने के लिए, कई राज्यों में विश्व बैंक की परियोजनाएं स्थानीय रूप से अनुकूलित पैकेज प्रदान करती हैं जो कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद करती हैं। किसानों को अपने फसल पैटर्न में विविधता लाने, नवीनतम कृषि जानकारी तक पहुंचने, फसल सलाह के बारे में जानने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने, मिट्टी और जल प्रबंधन में सुधार करने और कृषि और गैर-कृषि उद्यमों दोनों को विकसित करने में मदद की जाती है।

बड़े बांधों को मजबूत करना

जलवायु परिवर्तन के कारण भारत के मौसम का मिजाज अप्रत्याशित हो गया है, पेयजल और सिंचाई उपलब्ध कराने, बाढ़ को नियंत्रित करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांध महत्वपूर्ण हो गए हैं। फिर भी, समय के साथ, भारत के 5,700 बड़े बांधों में से कई संरचनात्मक रूप से कमजोर हो गए हैं। विश्व बैंक के समर्थन से, भारत अब दुनिया के सबसे बड़े बांध पुनर्वास कार्यक्रम को लागू कर रहा है, जिसमें लगभग 300 बड़े बांधों को आधुनिक और मजबूत करने के लिए नवीन समाधानों और  सर्वोत्तम वैश्विकप्रथाओं का उपयोग किया जा रहा है। अत्याधुनिक तकनीक बांध प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद कर रही है और निचले प्रवाह में रहने वाले लाखों लोगों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा के उच्च मानक निर्धारित किए गए हैं।

भूजल का संरक्षण

भारत विश्व में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। यदि मौजूदा रुझान जारी रहा, तो दो दशकों के भीतर भारत के आधे से अधिक जिलों में पानी की गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। जलवायु परिवर्तन से स्थिति और गंभीर होने की आशंका है। विश्व बैंक सात राज्यों में भारत की अटल भूजल योजना - दुनिया का सबसे बड़ा समुदाय-आधारित भूजल प्रबंधन कार्यक्रम - का समर्थन कर रहा है। ग्रामीण महिलाओं की अग्रणी भूमिका के साथ, यह कार्यक्रम किसानों को यह समझने में मदद कर रहा है कि कितना पानी उपलब्ध है और कितना उपयोग किया जा रहा है। फिर ग्रामीणों को उनके पानी के उपयोग के अनुसार बजट बनाने, उचित जल धारण संरचनाओं का निर्माण करने और अधिक टिकाऊ सिंचाई प्रथाओं को अपनाने में सहायता की जा रही है।

भारत के तटों की सुरक्षा के लिए मैंग्रोव लगाना

मैंग्रोव (कच्छ वनस्पति) प्रकृति के चमत्कार हैं जो कई समुद्री जीवों और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर हैं। वे तटीय तूफानों और सुनामी के प्रभावों को कम करते हैं और वर्षावनों की तुलना में चार गुना अधिक कार्बन सोखते हैं। भारत के कभी व्यापक मैंग्रोव वनों को अन्य उपयोगों के लिए भूमि के रूपांतरण, समुद्र के बढ़ते स्तर और मीठे पानी के प्रवाह में कमी के कारण खतरा है। 2010 से, विश्व बैंक मैंग्रोव लगाने और प्रजातियों की विविधता को बहाल करने के लिए समुदायों के साथ काम करके भारत को अपने पश्चिमी और पूर्वी तटों पर प्राकृतिक संतुलन बहाल करने में मदद कर रहा है।

बाढ़ संभावित क्षेत्रों को सुरक्षित बनाना

बिहार की बाढ़ की संवेदनशीलता को देखते हुए, विश्व बैंक राज्य को उनके प्रभाव को कम करने में मदद कर रहा है, खासकर कोसी बेसिन में। बाढ़ के पूर्वानुमान में सुधार किया गया है और समुदायों को पहले से सूचित किया जा रहा है, जिससे उन्हें और प्रशासन को प्रतिक्रिया देने का समय मिल रहा है। कोसी नदी के किनारे तटबंध प्रणाली को मजबूत और बेहतर बनाकर, जिसमें प्रकृति-आधारित समाधानों का उपयोग भी शामिल है, जीवन और आजीविका की रक्षा की जा रही है।

सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना

भारत के कार्बन उत्सर्जन में बिजली क्षेत्र का प्रमुख योगदान है। विश्व बैंक समूह के समर्थन से भारत के मध्य प्रदेश में 750 मेगावाट के रीवा सोलर पार्क में निजी निवेश को बढ़ावा देने में मदद मिली है। पार्क ने नवीकरणीय ऊर्जा के लिए दरों में रिकॉर्ड कमी दर्ज की है। 1,500 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाले तीन अन्य पार्कों को अब राज्य में समर्थन दिया जा रहा है। विश्व बैंक ने भारत में सोलर रूफटॉप बाजार को शुरू करने में भी मदद की है, जो 2016 में बैंक के कार्यक्रम के लॉन्च के बाद से 500 मिलियन डॉलर के निवेश से बढ़कर 5 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है।

बैटरियों में नवीकरणीय ऊर्जा का भंडारण

भारत ने अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने में सराहनीय प्रगति की है। हालाँकि, चूंकि पवन और सौर ऊर्जा दोनों प्रकृति में परिवर्तनशील हैं, इसलिए उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को बिजली की मांग अधिक होने पर उपलब्ध कराने से पहले संग्रहीत करने की आवश्यकता होती है। चूंकि बिजली क्षेत्र में बैटरी भंडारण अभी भी एक उभरता हुआ क्षेत्र है, विश्व बैंक इस क्षेत्र में निवेश को प्रेरित करने और इससे जुड़े पारिस्थिति की तंत्र के साथ मिलकर एक स्थायी बाजार बनाने के लिए भारत के साथ काम कर रहा है।

विकास प्रतिमान पर पुनर्विचार

जब 2018 की विनाशकारी बाढ़ ने जलवायु परिवर्तन के प्रति केरल की संवेदनशीलता को उजागर किया, तो राज्य ने अपने विकास प्रतिमान पर पुनर्विचार किया। विश्व बैंक का समर्थन अब केरल को समग्र नदी बेसिन प्रबंधन शुरू करके चरम मौसम की घटनाओं के प्रति सर्वांगीण प्रतिरोधकता विकसित करने; जल स्रोतों की स्थिरता सुनिश्चित करने; कृषि-पारिस्थिति की स्थितियों के अनुसार कृषि पद्धतियों के पुनर्गठन; प्रतिरोधी सड़कों और पुलों के निर्माण; स्थानीय सरकारों की योजना प्रक्रियाओं में आपदा और जलवायु जोखिम को एकीकृत करने; और आपदा प्रबंधन और समय पर सहायता प्रदान करने की राज्य की क्षमता को बढ़ाने में मदद कर रहा है।

भविष्य के स्वास्थ्य की रक्षा करना

जैसे-जैसे मानवीय गतिविधियाँ और जलवायु परिवर्तन पारिस्थिति संतुलन को बिगाड़ते हैं, पशु रोगजनकों के मानव आबादी में फैलने की आशंका बढ़ जाती है। पहले से ही, लगभग 75 प्रतिशत उभरती हुई संक्रामक बीमारियाँ और लगभग सभी हालिया महामारियाँ जानवरों से उत्पन्न हुई हैं। इस प्रकार विश्व बैंक का 'एक स्वास्थ्य' दृष्टिकोण मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एक साथ संबोधित करने पर केंद्रित है। विकासशील देशों को वन हेल्थ सिस्टम बनाने और संचालित करने के लिए प्रति वर्ष अनुमानित $3 बिलियन की आवश्यकता होगी। इससे महामारी और महामारियों से 37 अरब डॉलर की बचत होगी – यानि सालाना 34 अरब डॉलर का शुद्ध लाभ होगा।