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भारत अपने कॉरिडोर

प्रतिस्पर्धी ट्रक सेक्टर, पूर्व एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र

सहायता के पहले चरण में विश्व बैंक की ईस्टर्न डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर परियोजना-1 के तहत 343 किमी. लंबे खुर्जा-कानपुर सेक्शन के लिए 97.5 करोड़ डॉलर की धनराशि मुहैया कराई जाएगी। इस परियोजना से एक्सिल लोड की सीमा को 22.9 टन से बढ़ाकर 25 टन कर देने और 100 किमी. प्रति घंटे तक की रफ़्तार की अनुमति दे देने से इन डेडिकेटेड मालवाही लाइनों की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

डीएफ़सी कार्यक्रम से भारत को विश्व की एक विशालतम माल ढुलाई व्यवस्था का सृजन करने का अवसर मिलेगा, जिसमें आजमाई हुई अंतराष्ट्रीय प्रौद्योगिकियों और दृष्टिकोणों को अपनाया जाएगा, जिनका धीरे-धीरे नेटवर्क के अन्य महत्त्वपूर्ण मालवाही मार्गों तक विस्तार किया जा सकता है। इससे भारतीय रेल को अपना वह मार्केट शेयर पुनः हासिल करने में भी मदद मिलेगी, जो अत्यंत प्रतिस्पर्धी ट्रक सेक्टर के हाथों में पहुंच चुका है, जिसके माल ढुलाई किराए विश्व में काफी कम हैं।


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