मुख्य कहानी

युवा आवाज़ों ने लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ एक संदेश भेजा

9 अप्रैल, 2013

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कहानी की प्रमुख घटनाएं
  • दक्षिण एशिया में युवकों द्वारा दिय गए समाधानों को उजागर करनेके लिए विश्व बैंक ने एक प्रतियोगिता आयोजित आयोजित की जिसका नाम था - दक्षिण एशिया में लिंग आधारित हिंसा को खत्म करने के लिए क्या करना होगा ? प्रविष्टियां (एंट्रीज़) टेक्स्ट मेसेज, ट्वीट्स या ईमेल के ज़रिए मंगाई गई।
  • 18-25 वर्ष की आयु के 1,200 से अधिक युवकों ने प्रविष्टियां भेजीं और विश्व बैंक के विशेषज्ञों के पैनल ने 10 विजेताओं का चयन किया। इनमें से हर एक विजेता को पोर्टेबल वीडियो कैमरा दिया जाएगा।
  • विजेताओं के संदेश 18 अप्रैल को विश्व बैंक की बैठक में लिंग आधारित हिंसा खत्म करने संबंधी विशेषज्ञ पैनल की बैठक के दौरान प्रदर्शित किए जाएंगे

समूचे दक्षिण एशिया से सन्देश  एसएमएस, ईमेल, ट्वीटर और डाक के माध्यम से बड़ी संख्या में प्राप्त हुए । दक्षिण एशियाई क्षेत्र में हाल में हुई है घटनाओं ने दुनिया को हैरान और आक्रोशित किया । इसके मद्देनज़र इस क्षेत्र के सात देशों से युवाओं ने लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने के लिए अपने विचार प्रस्तुत किए।

प्रतियोगियों से नौ भाषाओं में प्रविष्टियां प्राप्त हुर्इं। हालांकि यह सीमित थी लेकिन उनमें प्रभावकारी संदेश दिए गए थे। भारत से 18 वर्ष की भूमिका बिल्ला ने लिखा, "पारंपरिक  स्री की प्रकृति को त्यागो, लिंग के प्रति संवेदनशील शिक्षा का प्रचार करो, महिलाओं को उग्र और सशक्त बनाओ, ‘सुरक्षित शहर’ अभियान शुरू करो।” बिल्ला कहती हैं कि हिंसा का भय उसकी दैनिक गतिविधियों पर असर डालता है।

वह कहती है, ”जब कभी मुझे दोस्तों के साथ घर से बाहर निकलना होता है...... तो मेरे माता-पिता को दो - चार बार सोचना पड़ता है।” एक धावक को अपना अभ्यास रोकना पड़ा क्योंकि ट्रैक पर दौड़ने वाली वह अकेली महिला थी और खुद को असुरक्षित महसूस करती थी।

दक्षिण एशिया के लिए विश्व बैंक की उपाध्यक्ष इसाबेल गुएर्रेरो का कहना है, "हमें इस विषय पर बहुत अद्भुत, आवेशपूर्ण और उत्साहशील जवाब मिले हैं। इससे पता चलता है कि दक्षिण एशिया में इस मसले ने बहुत लोगों को छुआ है। पुरुष और महिलाएं तथा खासतौर से युवा जो अपने और अपने बच्चों के लिए बेहतर स्थान चाहते हैं।”

"नीति बनाने वालों से लेकर उत्पीड़ित तक हर स्तर पर लिंग आधारित हिंसा के प्रति चुप रहना एक आम बात हो गई - यह सब बदलना होगा ।” - कहती हैं श्रीलंका और मालदीव के लिए विश्व बैंक की देश निदेशक डायरीतोउ गाये, जिन्होंने विश्व बैंक के दो विशेषज्ञों के साथ मिल कर प्रतियोगिता में आई एंट्रीज़ पर निर्णय लिया और 10 विजेताओं का चयन किया।

नेपाल के 21 वर्ष के उदय सिंह करकी इस संदेश पर विजेता बने - "सरकारः कड़े कानून और  उन्हें लागू करना।  पुरुष: स्त्री-पुरुष (लिंग) समानता की सीख और इसके न मानने के विरुध कानून। महिलाएं: अधिकारों के बारे में जानकारी।”

एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "जब मैं स्त्री-पुरुष (लिंग) असमानता या लिंग आधारित हिंसा के बारे में सोचता हूं, सच कहूं तो मैं जोर से चीख और चिल्ला कर अपने दिल के बोझ को हल्का करना चाहता हूं क्योंकि मैं उस समुदाय का हिस्सा हू  जहां एक माँ प्रसव के समय बहुत अधिक पीड़ा सहने के बाद बच्चे को जन्म देती है लेकिन बच्चे की पहली सांस के साथ ही सवाल किया जाता है - लड़का है या लड़की ? और यदि वह लड़की हो तो उसका परिवार जीवन के पहले दिन से ही उसकी अनदेखी करने लगता है। आने वाले दिनों में उसकी शिक्षा, स्वास्थ्य, अवसर और जीवन के हर पहलू के बारे में निर्णय लेने में यह भेदभाव प्रकट होता है। अंत में, वह आखिरी सांस लेने के बाद ही चैन की सांस लेती है। इस समुदाय का अंग होने के नाते मैं भी इस हालात के लिए जिम्मेदार हूं। लेकिन मैं बदलाव चाहता हूं और हां, मैं अपने आप से इसकी शुरुआत कर रहा हूं।”


" जब मैं स्त्री-पुरुष (लिंग) असमानता या लिंग आधारित हिंसा के बारे में सोचता हूं, सच कहूं तो मैं जोर से चीख और चिल्ला कर अपने दिल के बोझ को हल्का करना चाहता हूं। "

उदय सिंह करकी, 21 वर्षीय

नेपाल से प्रतियोगिता विजेता

एक और जज, दक्षिण एशिया में सामाजिक विकास के लिए विश्व बैंक की क्षेत्र प्रबंधक मारिया कोरिया कहती हैं,  ” लिंग आधारित हिंसा की जड़े सामाजिक मान्यताओं में गहरे तक बसी हैं लेकिन यह आर्थिक एवं सांस्थानिक कारकों से परस्पर जुड़ी है जैसे रोज़गार तक महिलाओं की पहुंच और महिलाओं तथा पुरुषों के लिए शिक्षा में वृद्धि। ”

अन्य विजेताओं के संदेश:

  • दिबा परवेज़, 18, अफगानिस्तान: ”रूढ़िवादी दृष्टिकोण में बदलाव, महिलाओं का सशक्तिकरण, बच्चों को अच्छे संस्कार देना, महिलाओं के लिए सभी संवैधानिक कानूनों को लागू करना।”
  • काज़ी सादिया यासमीन, 21, बांग्लादेश: ” सीमाओें को तोड़ो, बराबर अवसर दो ! जीवन के हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ महिलाओं की मुक्त और निष्पक्ष भागीदारी धीरे-धीरे लिंग आधारित  हिंसा को खत्म कर देगी। ”
  • केलज़ंग वांगमो, 21, भूटान: ”भावी पीढ़ी, छोटे बच्चों को स्त्री-पुरुष बराबरी के महत्व के बारे में शिक्षा दो ताकि वे छोटी उम्र में ही एक दूसरे का सम्मान करना सीखें।”
  • वंदना राठौर, 20, भारत: ” बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण: मूल्य आधारित शिक्षा, बेहतर कानून, तेजी से न्याय और पीड़ित महिलाओं का पुनर्वास एवं आर्थिक अवसर।”
  • भास्कर ज्योतिनियोग, 25, भारतः ” महिला शिक्षा, आर्थिक गतिविधि में शामिल होने के अवसर, पैतृक और अपनी संपत्ति में अधिकार तथा स्त्री-पुरुष के बीच भेदभाव के (लिंग आधारित) मुद्दों पर सार्वजनिक चर्चा। ”
  • सुधा सुबेदी, 22, नेपाल: ” बच्चों के पालन-पोषण के समय भेदभाव बंद करो। अपने बेटी को शिक्षित करो, आज़ाद, आत्मविश्वास की भावना भरो। अपने बेटे को महिलाओं का आदर करने की शिक्षा दो और अच्छे संस्कार दो। ”
  • वजीहा मोबीन, 21, पाकिस्तान:” हमें लोगों की सोच बदलने की जरूरत है। सिर्फ कानून बनाने और लागू करने से बदलाव नहीं होगा। ”
  • जयराजा संजीयन, 24, श्रीलंका: ” लिंग आधारित हिंसा , विशेषकर घरेलू हिंसा कतई बर्दाश्त न करने के बारे में जागरूकता पैदा करना। ”

विश्व बैंक की स्प्रिंग बैठक के दौरान 18 अप्रैल को लिंग आधारित  हिंसा के बारे में सामूहिक चर्चा के दौरान जीते हुए सन्देशों को प्रदर्शित किया जाएगा।

तीसरे जज और दक्षिण एशिया के लिए विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री मार्टिन रामा का कहना है, ” क्षेत्र से विशेषज्ञों को बुलाने से, हमें आशा है कि इससे नीतिगत समाधान सामने आएंगे जो दक्षिण एशिया में लिंग आधारित हिंसा की महाविपत्ति को कम करने में मदद कर सकते हैं। ”

गुएर्रेरो का कहना है, ” हम युवा वर्ग, जिनमें इन्टरनेट से वंचित दूरदराज़ के क्षेत्रों  में रहने वाले भी शामिल हैं, तक पंहुच कर नए विचारों की तलाश कर रहे हैं जो दक्षिण एशिया के लिए नए भविष्य की इबारत लिखेंगे।”


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