मुख्य कहानी

कन्ट्री प्रोग्राम स्ट्रेटेजी (सीपीएस) सलाह, नागरिक सामाजिक संगठनों के साथ: गुवाहाटी, असम

14 सितंबर, 2012

स्थानः गुवाहाटी, असम

दिनांकः 29 मई, 2012

मेजबानः ओकेडी इन्स्टीटूट ऑफ सोशल चेन्ज एन्ड डेवलपमेन्ट

प्रतिभागीः सूची

मध्यस्थः प्रोफेसर इद्राणी दत्ता, ओकेडी इन्स्टीटूट

चर्चा के प्रमुख बिन्दुः

एक सामान्य जरुरत महसूस की गई कि असम और पूर्वोत्तर राज्यों की विशेषताओं को विकासात्मक कार्यों में आवश्यक महत्व नही दिया गया है. अनेक वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि प्रकल्प के नियोजन, अमलीकरण और सफलता के संकेतकों के लिए क्षेत्रवार नियम बनाए जाने चाहिये. उन्होंने आगे कहा जिस क्षेत्र की विरासत में मिली हुए पारिस्थितिकी संबंधी विशेषता को भविष्य के प्रकल्पों के लिए ध्यान में रखा जाना चाहिये

संपूर्ण रुप से देखा जाए, तो ये महसूस किया गया कि विश्व बैंक असम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. खासकर कृषि के क्षेत्र में काम किया जा सकता है, उन छोटे किसानों के लिए, जो कम उत्पादकता और कमजोर ढांचागत स्थिति के कारण परेशान होते हैं. ये आय के स्रोत बढाने और माईक्रो फायनान्स में मदद कर सकती है, बाजार के एकीकरण, प्रशिक्षण के साथ कौशल का विकास करना युवाओं के लिए आवश्यक है और शहरी क्षेत्रों में पर्यावरण संबंधी मुद्दो पर काम किया जा सकता है. विकासात्मक कार्यों को लागू करने और नियोजन को शक्तिशाली करने के लिए ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर डाटाबेस को शक्तिशाली करने की आवश्यकता भी महसूस की गई
चर्चा का विस्तार

कृषि संबंधी मुद्दे

अनेक प्रतिभागियों ने कृषि के मुद्दे पर अपनी बात रखी. खासकर वे छोटे किसान जो मानसून पर निर्भर रहते हैं और जिनके पास वित्तीय साधन नही होते. मार्केटिंग की कमी होने के कारण अच्छी फसल होने के बावजूद इन किसानों को उसका लाभ नही मिल पाता है. पीडीएस खाद्य फसलों को सबसिडी प्रदान किये जाने से छोटे किसानों के अस्तित्व पर संकट बन पडा है. इस स्थिति में युवा अन्य शहरों में रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं. एक प्रतिभागी ने सलाह दी कि स्थानीय उत्पादन नियोजन, स्थानीय भन्डारण और वितरण पर ध्यान दिया जाना चाहिये और इसका मुख्य लक्ष्य छोटे किसानों की सुरक्षा होना चाहिये. ये भी महसूस किया गया कि माईक्रो फायनान्स और व्यावसायिक जानकारों की मदद से यहां की स्थिति को कृषि के क्षेत्र में सुधार प्रदान किया जा सकता है. पशुपालन के क्षेत्र में भी प्रशिक्षण और सहयोग की आवश्यकता है.

कृषि मजदूरी में लिंगभेद की समस्या पर भी चर्चा की गई. अधिकांश महिलाएं कृषि संबंधी मजदूरी में संलग्न है लेकिन इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर कोई फर्क नही पडा है. ये भी मुद्दा ध्यान में लाया गया कि आर्सेनिक और फ्लोराईड की मात्रा पानी में होना भी काफी बडी समस्या है. एक प्रतिभागी ने सलाह दी कि मानसून पर आधारिक कृषि को वर्षा जलभरण संबंधी जागरुकता और पारिवारिक स्तर पर इसके विकास पर जोर दिया जाना चाहिये.

एक प्रतिभागी ने रोचक प्रकार से ये भी कहा कि किसानों के लिए सबसिडी को धीरे धीरे कम किया जाना चाहिये जिससे वे अपनी पूंजी से अपनी संपत्ति बना सके. यहां पर कौशल विकास संबंधी स्थिति भी सामने लाने की बात थी, खासकर ग्रामीण युवाओं के लिए, जो कृषि में कमाई होने के चलते नौकरी खोजने लगे थे.

विकास और ढांचागत क्षमता विकास दोनो आवश्यक है

ये चर्चा ढांचागत विकास की आवश्यकता को सामने लाने को लेकर शुरु हुई और इसमें स्थानीय यातायात, संवाद और ऊर्जा पर भी बातचीत हुई. ये भी बताया गया कि अधिकांश नवीन रुप से विकसित शहरी क्षेत्र जिस समस्या से समसे ज्यादा जूझ रहे हैं, वह है कचरे की समस्या, जिसपर ध्यान दिया जाना आवश्यक है. इसके लिए एक तकनीकी और उच्च स्तरीय समाधान की आवश्यकता है और इसमें विश्व बैंक मदद कर सकता है. उन्हे सार्वजनिक यातायात, खासकर शहरी क्षेत्रों में विकसित करने की आवश्यकता है.

एक प्रतिभागी ने बैंक द्वारा मदद किये जाने वाले अनुसंधान कार्यक्रमों का हवाला देते हुए यहां पर इन्क्युबेटर केन्द्र को शहरी क्षेत्र में लगाने हेतु पक्ष रखा गया. उसके अनुसार संपूर्ण देश भर में कार्यरत संकेतकों का कार्य क्षेत्रवार अलग होना चाहिये. इसके साथ ही देश में पूर्वोत्तर क्षेत्र जिसमें असम भी शामिल है, यहां की विविधता पर अध्ययन करने के बाद इसके संबंध में नियोजन करने की आवश्यकता है. रोजगार के अवसरों को बढाने और गरीबी को कम करने के लिए बैंक कुछ खास क्षेत्रों में मदद कर सकती है जिसमें शामिल हैः माइक्रो फायनान्स और उसे जरुरतमंद तक पहुंचाने का प्रकल्प, कौशल का विकास और बाजार का एकीकरण, जो देश के बाकी क्षेत्रों के साथ हो.

एक प्रतिभागी ने बताया कि असम में किसी भी प्रकार की विकासात्मक परियोजना को लागू करते समय यहां की वर्षा और बाढ की परिस्थिति को ध्यान में रखा जाना चाहोये. सडकों के जाल के संबंध में उन्होंने बताया कि असम में सडक दुर्घटनाओं में मौत की संख्या देश में समसे ज्यादा है.

प्रदूषण और संसाधनों का उपयोग

अनेक वक्ताओं ने शहरीकरण के कारण बढने वाले प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त की. एक वक्ता ने अनेक सूक्ष्म सलाह भी प्रस्तुत की. इनमें शामिल थीः प्रदूषण नियंत्रण जो कचरा और अपशिष्ट को फेंकने से संबंधित है और यह ब्रम्हपुत्र नदी के लिए भी खतरा है, केवल मिनी हायडल पावर और गैस आधारित ऊर्जा को सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये ऐर सोलर एनर्जी के लिए सबसिडी दी जानी चाहिये, साथ ही वस्तुओं और मानव यातायात के लिए जल आवागमन पर ध्यान दिया जाना चाहिये जिससे सडकों पर भार कम होगा. उन्होंने ईको टूरीजम पर भी ध्यान देने के लिए कहा और विविध क्षेत्रों की पारिस्थितिकी को लेकर लाभ उठाने को कहा जैसे वन, मैदान, पहाडी स्थान आदि.


एक प्रतिभागी ने अलग ही प्रकार से अपने तथ्य को प्रस्तुत करते हुए कहा कि बैंक द्वारा कोयले संबंधी बडे बडे प्रकल्पों पर ध्यान देकर ऊर्जा के प्रकल्पों को ब्ढाने के स्थान पर कोयले के दुष्परिणामों पर भी ध्यान देना चाहिये. ये बताया गया कि बिना कोयले के इस्तेमाल के, भारत और अनेक विकासशील देशों में ऊर्जा संकट होगा. बहरहाल इस प्रकार के प्रयोग तकनीक के प्रयोग से ही सफल हो सकते हैं और इसमें बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.


अनेक वक्ताओं ने विकासात्मक प्रकल्पों के कारण कार्बन की वृद्धि संबंधी चिंता व्यक्त की. ये बताया गया कि असम के क्सानों द्वारा अन्य प्रकार की कृषि को भी अपनाया जाना चाहिये, सिर्फ खाद्यान्न पर ही निर्भरता नही रखनी चाहिये. इसके साथ ही कम जोखिम की कृषि को भी प्राधान्य दिया जाना चाहिये. तकनीक की मदद से सोलर ऊर्जा का प्रयोग भी बढाया जाना चाहिये. इसका एक उत्तम उदाहरण है काजीरंगा नैशनल पार्क में सौर्य ऊर्जा का उपयोग. एक प्रतिभागी को ये जानने की मंशा थी कि विश्व बैंक द्वारा कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग को मदद दी जा रही है और इस संबंध में विकसित देशों द्वारा शोषित किये जाने के उदाहरण है.


डाटाबेस और मॉनिटरिंग


अनेक प्रतिभागियों द्वारा आंकडे न होने की स्थिति बताई गई, खासकर मातृत्व स्वास्थ्य, शिक्षा और सरकारी प्रकल्पों और विकास संबंधी आंकडे. ये भी बताया गया कि कुछ पंचायतों को ये भी पता नही है कि कितनी जनसंख्या उनके क्षेत्र में आती है. अनेक पीआरआई को इसी कारण से सक्रिय करना संभव नही था और स्थानीय स्रोतों का उपयोग भी संभव नही था. इस प्रकार की परिस्थिति में, नियोजन, संसाधनों का उपयोग और उनपर ध्यान रखना कठिन होता है और अपेक्षित परिणाम प्राप्त करना कठिन होता है.


एक प्रतिभागी ने बताया कि विकास संबंधी प्रकल्पों के परिणामों की जानकारी इसमें रुचि लेने वालों के लिए उपलब्ध नही थी, प्रकल्पों के बारे में जानकारी देने के लिए भी यह आवश्यक होती है. ये सभी स्तरों पर महसूस किया गया कि कमजोर आंकडों की स्थिति के कारण पूर्वोत्तर राज्यों में अनेक स्तरों पर विकास कार्य प्रभावित हो रहा है. इसी के साथ ये भी बात मानी गई कि एक स्वतंत्र मॉनिटरिंग आवश्यक है जो ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर आवश्यक है.


एक सलाह ये भी थी कि सलाहकारों की सूची प्रदान की जाए,, जो असम के विकास में मदद कर सके. उनकी जानकारी संबंधी कुशलता और शिक्षा का लाभ असम के स्रोतों के साथ प्रभावी तरीके से माईक्रो व मैक्रो नियोजन में लिया जा सकता है और एक समग्र विकास किया जा सकता है.


शिक्षा


अनेक वक्ताओं ने शिक्षा के मुद्दे को सामने रखा और खासकर निम्न स्तरीय प्राथमिक शिक्षा होने के कारण स्कूल छोडने वाले विद्यार्थियों की संख्या पर चिंता दर्शाई. ये बताया गया कि शिक्षा का स्तर काफी निम्न है कि दसवी की परीक्षा के बाद केवल 0.6 प्रतिशत विद्यार्थियों ने तकनीकी शिक्षण को अपनाया. इसका अर्थ है कि आनेवाले समय में बाजार की आवश्यकता के अनुरुप कुशल कर्मचरियों को पाना कठिन होगा. एक अन्य वक्ता ने औपचारिक शिक्षा की सामग्री को बदलने संबंधी तथ्य सामने रखे और इसके साथ ही जनजातीय समाज के पारंपरिक शिक्षण के समाप्तप्राय होने की स्थिति का भी हवाला दिया, इनमे पूर्वोत्तर राज्यों की कला, हस्तकला, आदि शामिल है. इस वक्ता ने प्राकृतिक संसाधनों का प्रबन्धन और मनुष्य की स्थिति को मूल्यगत समझ के साथ लेने की बात भी रखी जो कि औपचारिक शिक्षा में से गायब है. ये खासकर आज के युवा के लिए आवश्यक है. ये भी बताया गया कि एक समय था जन शिक्षा के क्षेत्र में समाज का योगदान महत्वपूर्ण था जो वर्तमान में गायब हो गया है. एक प्रतिभागी ने ये भी पूछा कि पीपीपी द्वारा अनुसंधान के क्षेत्र में आना संभव है क्या.

अर्थपूर्ण तकनीकी कौशल का प्रशिक्षण, खासकर युवाओं के लिए आवश्यक है, ये बात अनेक वक्ताओं ने मुखर रुप से कही. इससे युवाओं का पलायन रिक सकेगा. यही कारण है कि इस क्षेत्र में बैंक से सहयोग आवश्यक है.


शिक्षा की कमी के कारण कुछ सामाजिक बुराईयां भी यहां के समुदाय में व्याप्त है, खासकर चाय के उत्पादन के क्षेत्र में, इसमें मद्यपन करना और अत्याधिक अंधविश्वास शामिल है, ये भी बताया गया कि बैंक द्वारा उन बच्चों के लिए कुछ करने के तथ्य नही बताए गए हैं जो सडकों पर रहते हैं और उन्हे अनेक प्रकार से मदद की आवश्यकता है.


सरकार संबंधी मुद्दे


एक वक्ता ने बताया कि विश्व बैंक द्वारा नियमक और अंकेक्शण जनरल संबंधी रिपोर्ट्‌स को देखना चाहिये जिसमें उन प्रकल्पों या कार्यक्रमों की जानकारी दी जाती है जिसमें बैंक भाग ले सकती है. साथ ही आगे तकनीकी मुद्दों पर भी जानकारी मिल सकती है. स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित बैंक के इससे पूर्व के प्रकल्पों के परिणामों की समीक्षा संबंधी तथ्य भी सामने रखे गए, उसी प्रकार से लक्ष्य और उनकी प्राप्ति की स्थिति को लेकर भी समान तथ्य रखे गए.


असम जैसे क्षेत्रों में बढती असमानता को लेकर सभी ने अपनी बात रखी. उदाहरण के लिए ये बताया गया कि सीधा विदेशी निवेश सिर्फ विकसित क्षेत्रों में ही आ रहा है और ये सुनिश्चित करना आव्श्यक है कि इसका लाभ सभी स्थानों पर वितरित किया जा सके.


पारदर्शिता


अनेक प्रतिभागियों ने इस विषय पर अपने विचार रखे और वे ये जानना चाहते थे कि बैंक किस प्रकार से पारदर्शिता अपना रही है और सामाजिक क्षेत्र में अपने काम को कैसे आगे बढा रही है. ये भी चर्चा की गई कि किस प्रकार से जनता विश्व बैंक के बारे में सोचती है व उसकी मदद कैसे ली जा सकती है. एक प्रतिभागी क कहना ये भी था कि नागरिक समाज संबंधी संगठनों की सलाह यदि सीपीएस में दिखाई देगी, तब क्या आम जनता को इस प्रपत्र के अंतिम रुप लेने से पहले देख पाने का अधिकार होगा. सरकारी योजनाओं और प्रकल्पों में पारदर्शिता का अभाव अनेक प्रतिभागियों द्वारा दर्शाया गया.


एक प्रतिभागी ने पूछा कि क्या विश्व बैंक की अपनी कुछ प्राथमिकताएं हैं जो नीतियों से संबंधित है अथवा वे किसि एजेन्सी की मदद करते हुए सरकारी योजनाओं और नीतियों को आगे बढाने का काम करेंगे. इस प्रतिभागी का कहना था कि बैंक को ये तथ्य जनता के सामने स्पष्ट करने चाहिये.


विश्व बैंक की प्रतिक्रिया


विश्व बैंक की टीम द्वारा ये स्पष्ट किया गया कि किस प्रकार से वे केन्द्र और राज्य सरकार के साथ काम करते हैं. ये बताया गया कि बैंक द्वारा क्षमता के विकास से संबंधित कार्य भारत सरकार द्वारा किये जाते हैं जिससे सही आंकडे एकत्र किये जा सके और सांख्यिकीय जानकारी का प्रभावी उपयोग हो सके. बैंक सांख्यिकीय मंत्रालय व कार्यक्रम अमलीकरण के साथ कार्य कर रही है जिससे विविध क्षेत्रों में क्षमता का विकास किया जा सके. असम में ही, प्रदर्शन प्रबन्धन सिस्टम से संबंधित प्रकल्प अपनी पूर्णता की ओर है. बैंक द्वारा आगे माईक्रोफायनान्स के मुद्दे पर भी काम किया जाना है.


राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम इस हेतु एक उत्तम उदाहरण था जिसमें ये दिखाया गया कि बैंक द्वारा माईक्रो स्तर पर कार्य किया गया है. सैकडो स्वयं सहायता समूहों की मदद इसमें प्राप्त की गई. बैंक द्वारा पारंपरिक बुनकरों के कौशल को ध्यान में रखते हुए उनकी आजीविका को लेकर एक प्रकल्प को मदद प्रदान की गई है जिससे पारंपरिक शिक्षा और हस्तकला को सहायता प्रदान की जाती है. ये तथ्य भी बताया गया कि बाजार के एकीकरण को, खासकर कृषि और संबंधित क्षेत्र में लागू किये जाने संबंधी प्रकल्पों को चलाया जा सकेगा और डेयरी उद्योग की सहायता के लिए जल्द ही डेयरी सपोर्ट प्रकल्प चलाया जाना है.


ये भी बताया गया कि क्षेत्रीय स्ट्रेटेजीज जो राष्ट्रीय विकास प्रकार के एक ही कार्यक्षेत्र में आती हैं, वे भी महत्वपूर्ण है. इसे भारत सरकार की बारहवी पंच वर्षीय योजना के तहत मसौदे के रुप में लिया गया है. बैंक द्वारा चार राज्यों के विकेन्द्रीकरण की सेवाओं में भी मदद करने हेतु कार्य करने और सरकार के साथ काम करने का आश्वासन दिया है.


ये स्पष्ट किया गया कि बैंक कार्बन की स्थिति सुधारने अर्थात पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने संबंधी प्रकल्प चलाएगी. कोयले संबंधी तथ्य अभी भी विचाराधीन थे तथापि बैंक द्वारा ये विचार सामने रखा गया कि कोयले के प्रयोगों के हानिकारक प्रभावों को लेकर संभाव्य जागरुकता अभियान अवश्य चलाया जा सकेगा. बैंक को कार्बन क्रेडिट ट्रेड से कोई समस्या नही है लेकिन इसे सही तरीके से लागू करने के लिए आवश्यक तंत्र को लागू किया जाना आवश्यक है.


ये स्पष्ट किया गया कि बैंक द्वारा देश को और उसके प्रकलों को पूरा करने के लिए भारत सरकार के विकासात्मक कार्यक्रमों और बजट में से थोडा सा हिस्सा ही प्राप्त किया जाएगा. सरकार को बैंक द्वारा तकनीकी सलाह और अमलीकरण संबंधी तथ्यों से अवगत करवाया गया है, साथ ही भारत से संबंधित कोई नीति नही होने के कारण वृहद परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव सीमित रहेगा.


मीडिया से मुलाकात


विश्व बैंक की टीम द्वारा स्थानीय मीडिया के प्रतिनिधियों से भी भेंट की गई और उनके प्रश्नों के उत्तर व असम संबंधी मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा की गई. इस चर्चा के प्रमुख बिन्दु इस प्रकार है.


संपूर्ण तरीके से देखें, तो असम प्रगति कर रहा था. वर्तमान राजनीतिक पार्टी पिछले तीन सत्रों से सत्ता में है क्योंकि जनता का मानना है कि मुख्यमंत्री द्वारा कुछ विकास खासकर ढांचागत क्षेत्र में किया जाएगा जैसे सडकें.

अधिकांश प्रतिभागियों का कहना था कि सेवा प्रदान करने में होनेवाल भ्रष्टाचार ही सबसे बडी समस्या है, खासकर निम्न स्तर पर, इससे लाभार्थियों तक लाभ पहुंच ही नही पाता. बैंक द्वारा आजीविका संबंधी प्रकल्पों पर काम करना लाभदायक होगा और इससे युवाओं का पलायन रुक सकेगा.


ये महसूस किया गया कि कृषि का क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुआ है और बैंक का प्रकल्प निरंतर रहने के बावजूद इस क्षेत्र पर ध्यान देने की आवश्यकता है. गुवाहाटी जैसे नगरों में मत्स्यपालन संबंधी अनेक समस्याएं हैं और रोजाना की जरुरतों को पूरा करने के लिए मछलियों का आयात करना पडता है. ये सलाह दी गई कि बैंक द्वारा भविष्य मे  इस प्रकल्प पर ध्यान दिया जा सकता है.

शिक्षा पर प्रभाव पडा है और इसका कारण है गलत नीतियां और खराब अमलीकरण. स्वशासी पद्धति को प्राथमिक स्कूलों के स्तरों पर लागू किये जाने का अर्थ यही होता है कि विद्यार्थी पढाई के लिए कम और मध्यान्ह भोजन के लिए स्कूल आता है. इसके साथ ही मध्यान्ह भोजन के दौरान दिया जानेवाला भोजन भी काफी बुरी गुणवत्ता का होता है जिसे विद्यार्थी पसंद नही करते. इस सिस्टम में भी कई खामियां है. पीडीएस में प्रदान किया जानेवाला अनाज थोडा अच्छा होता है.


पावर क्षेत्र की स्थिति एक जटिल परिस्थिति प्रस्तुत करती है. अनेक निजी संस्थान इस क्षेत्र में आए हैं लेकिन कोई भी प्रकल्प प्रारंभ नही हुआ है और राज्य को ऊर्जा की कमी बदस्तूर महसूस हो रही है. बडे हाईड्रो प्रकल्पों को पर्यावरण संबंधी कार्यकर्ताओं की ओर से काफी विरोधों का सामना करना पदा. सभी विकासात्मक प्रकल्पों को सही प्रबन्धन की आवश्यकता है जिसकी राज्य में कमी है. बैंक को इस क्षेत्र में आने की सलाह प्रदान की गई.


मीडिया द्वारा एक मुद्दा उठाया गया जो कि बाहरी एजेन्सियों द्वारा प्रकल्पों संबंधी पारदर्शिता न बरतने की बात थी जिसमें एडीबी व विश्व बैंक शामिल थे. अनेक मीडिया के प्रतिनिधियों ने ये महसूस किया कि सरकारी अधिकारी इस प्रकार के प्रकलों को लेकर कुछ भी बताने से बचते हैं, खासकर लोगों से और प्रेस से भी. सामान्य जनता को इस प्रकार की मदद या सहयोग के बारे में कोई जानकारी नही होती जो विश्व बैंक जैसे संस्थानों से आती है. इसी कारण से एडीबी द्वारा गुवाहाती में कार्यालय खोला गया है. ये सलाह दी गई कि जनता के लिए जानकारी और जागरण को सरकार और एजेन्सी के बीच के अनुबन्ध का मुख्या भाग बनाया जाए.


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