प्रेस विज्ञप्ति

भारत में हिमाचल प्रदेश राज्य सड़क परियोजना के लिए 6.17 करोड़ अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त वित्तीय सहायता – राज्य के अधिकतर ज़िले लाभान्वित होंगे

26 अक्तूबर, 2012




अभी तक पहली परियोजना के अंतर्गत 1,200 किमी. सड़कों का सुधार और रखरखाव हो चुका है। कम से कम 220 किमी. सड़कों को अपग्रेड किया गया है और यात्रा में लगने वाले समय में 25 प्रतिशत से अधिक की कमी हुई है।

वाशिंगटन, 25 अक्टूबर, 2012: आज विश्व बैंक ने भारत के प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश में सड़कों के नेटवर्क को सुदृढ़ करने में राज्य सरकार की सहायता करने के लिए मौजूदा हिमाचल प्रदेश राज्य सड़क परियोजना के लिए 6.17 करोड़ अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त धनराशि को स्वीकृति प्रदान की। 

       5 अक्टूबर, 2007 से प्रभावी 22 करोड़ अमरीकी डॉलर की लागत वाली मूल हिमाचल प्रदेश राज्य सड़क परियोजना का उद्देश्य परिवहन पर आने वाली लागत को कम करना तथा हिमाचल प्रदेश के सड़कों के मुख्य नेटवर्क के प्राथमिकता-प्राप्त भागों पर यातायात के प्रवाह में सुधार करना था। परियोजना के तहत लगभग 447 किमी. मौजूदा राजमार्गों को चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण के जरिए दो गलियारों वाला (टू-लेन) भी बनाया जा रहा है, लगभग 2000 किमी. कोर रोड नेटवर्क के समय-समय पर रखरखाव की व्यवस्था की जा रही है और सड़कों के नेटवर्क के रखरखाव में मदद करने वाली संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। 

आज स्वीकृत 6.17 करोड़ अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त धनराशि से हिमाचल प्रदेश राज्य सड़क परियोजना को अपना मूल उद्देश्य पूरा करने में मदद मिलेगी। परियोजना को लागत में बढ़ोतरी का सामना भी करना पड़ रहा है। इस अतिरिक्त धनराशि से राज्य को सड़कों के उन्नतिकरण (अपग्रेडिंग), वनरोपण, भूमि अधिग्रहण तथा पुनर्वास और पुनःस्थापन संबंधी कार्यों पर आने वाली लागत का सामना करने में भी मदद मिलेगी।

अभी तक परियोजना से 1,200 किमी. सड़कों का सुधार और रखरखाव हो चुका है। राज्य के 447 किमी. राजमार्गों में कम से कम 220 किमी. मार्गों को दो गलियारों वाले मार्गों में उन्नत किया गया है। इन सुधरे हुए मार्गों पर यात्रा करने में लगने वाले समय में 25 प्रतिशत से अधिक की कमी हुई है। परियोजना द्वारा हाल ही में कराए गए उपभोक्ता संतुष्टि सर्वेक्षण के अनुसार आज सड़कों का उपयोग करने वालों की संतुष्टि का स्तर 5 के मापदंड (स्केल) पर 3.9 है, जबकि परियोजना शुरू होते समय यह 1.5 था।

लेकिन, राज्य में सड़कों के लगभग 32,247 किमी. के संपूर्ण नेटवर्क में 1,458 किमी. राष्ट्रीय राजमार्ग, 720 किमी. सीमावर्ती सड़कें, 1,626 किमी. राज्य के राजमार्ग और 1,969 किमी. ज़िले की प्रमुख सड़कें शामिल हैं, जो राज्य की सामाजिक और आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काफी नहीं हैं। आधे से अधिक सड़कें पक्की नहीं हैं, राजमार्ग-नेटवर्क का 90 प्रतिशत एक गलियारे वाला (सिंगिल लेन) है और 50 प्रतिशत से कम गांव ही सड़कों से जुड़े हैं।

आज स्वीकृत अतिरिक्त वित्तीय सहायता में दो नए कंपोनेंट शामिल किए गए हैं – सड़क सुरक्षा व्यवस्था और परियोजना-प्रबंधन प्रणाली। यह मानते हुए कि सड़क-सुरक्षा आज देश में एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है अतिरिक्त धनराशि से विशेष रूप से रोड एक्सिडेंट डैटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (आरएडीएमएस) का विकास करने और इसे मूर्तरूप देने में मदद मिलेगी, जो तमिल नाडु में विकसित ऐसी ही प्रणाली पर आधारित है। इससे राज्य की सभी सड़कों पर सड़क सुरक्षा-संबंधी महत्वपूर्ण कदमों की सिलसिलेवार ढंग से पहचान करने, इनका विश्लेषण और विकास तथा इनकी प्राथमिकता निर्धारित करने की राज्य की क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे सड़कों का उपयोग करने वाले सभी व्यक्तियों को लाभ होगा। बनाई गई सड़कों का समुचित रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए परियोजना लगभग 300 किमी. सड़कों पर प्रायोगिक आधार पर कार्य-प्रदर्शन पर आधारित रखरखाव अनुबंध व्यवस्था (पर्फ़ामेंस-बेस्ड मैन्टेनेंस कंट्रैक्ट्स - पीबीएमसी) लागू करेगी। इससे राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग की प्रबंधन क्षमताओं का संवर्धन होने की आशा है।

विश्व बैंक के भारत-स्थित कंट्री डाइरेक्टर ओन्नो रूह्ल ने कहा है, “प्रभावशाली आर्थिक प्रगति करने के बाद हिमाचल प्रदेश को चहुंमुखी विकास करने के लिए अपनी सड़कों के ढांचे में सुधार करना चाहिए। सड़क-सुरक्षा पर ध्यान देने के साथ-साथ इससे निवेश भी बढ़ सकता है, रोजग़ार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं और कृषि को बढ़ावा मिल सकता है तथा साथ ही नागरिकों की बाज़ार, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा तक पहुंच में सुधार हो सकता है।”

इस परियोजना के अंतर्गत कार्यान्वित की जाने वाली ई-बेस्ड परियोजना प्रबंधन प्रणाली से परियोजना-संबंधी जानकारी के कुशलतापूर्वक आदान-प्रदान, कार्य-प्रक्रियाओं पर नज़र रखने और अनुबंध के के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने में भी मदद मिलेगी।

विश्व बैंक के वरिष्ठ परिवहन विशेषज्ञ और परियोजना के टॉस्क लीडर प्रताप त्वग्श्शर्क ने कहा है, “इस परियोजना का दृष्टिकोण और इसकी कार्यनीति मौजूदा परियोजना की तरह ही होगी। अतिरिक्त धनराशि से न केवल समस्त सिविल वर्क पूरा करने में मदद मिलेगी, बल्कि रखरखाव-संबंधी कार्य का प्रबंधन करने के साथ-साथ सड़क-सुरक्षा संबंधी कदमों की प्राथमिकता निर्धारित करने की राज्य की क्षमता भी बढ़ेगी। हम गत वर्षों में भारत में कार्यान्वित विश्व बैंक की अन्य दूसरी सड़क परियोजनाओं से भी शिक्षा लेंगे।”

इंटरनेशनल बैंक फ़ॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) द्वारा सुलभ कराए जाने वाले इस ऋण का भुगतान 18 वर्ष में करना होगा, जो पांच वर्ष बाद शुरू होगा।

मीडिया संपर्क
में भारत
नंदिता रॉय
टेलिफ़ोन: 91-11-41479220
nroy@worldbank.org
में वाशिंगटन
गैब्रिएला एगुइलर
gaguilar2@worldbank.org

प्रेस विज्ञप्ति नं:
2013/126/SAR

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