चुनौती
जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक विकास बिजली की उपलब्धता पर निर्भर करता है। बिजली घरों को प्रकाशित करती है, घरेलू उपकरणों को ऊर्जा देती है, और बच्चों को सूर्यास्त के बाद भी पढ़ाई करने में सक्षम बनाती है, जिससे उनके शिक्षा के अवसर, नौकरी की संभावनाएं और अन्य संभावनाएं बढ़ जाती हैं। बिजली किसानों और व्यवसायों को उपकरण चलाने और रोज़गार के अवसर पैदा करने में सक्षम बनाती है; यह जन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए टीकों और दवाओं के लिए कोल्ड स्टोरेज प्रदान करती है; और यह डिजिटल सेवाओं, परिवहन और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे सहित आवश्यक सेवाओं को शक्ति प्रदान करती है।
बढ़ती आय, यंत्रीकृत कृषि, औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण भारत की ऊर्जा मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। साथ ही, भारत सरकार के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के तहत अल्पकालिक 2030 लक्ष्यों में वर्ष 2005 से 2030 तक कार्बन तीव्रता में 45 प्रतिशत की कमी; गैर-जीवाश्म ईंधन से 50 प्रतिशत बिजली उत्पादन क्षमता प्राप्त करना; और स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) उत्पादन क्षमता को 214 गीगावाट (जीडब्ल्यू) से 500 गीगावाट तक करके 135 प्रतिशत बढ़ाना शामिल है।
विश्वसनीय और सस्ती बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करते हुए सशक्त ऊर्जा लक्ष्यों को समर्थन देने के लिए एक मजबूत बिजली संचरण और वितरण प्रणाली आवश्यक है। भारत की सरकारी स्वामित्व वाली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) इस प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हालांकि, डिस्कॉम की खराब वित्तीय व्यवहार्यता ऊर्जा लक्ष्यों और नवीकरणीय ऊर्जा परिनियोजन के लिए अत्यधिक जोखिम पैदा करती है, जिससे उनका संयुक्त वार्षिक घाटा 678 अरब रुपये (8.1 अरब डालर) और संचयी ऋण बढ़कर 83.5 अरब डॉलर हो गया है। डिस्कॉम के परिचालन और वित्तीय व्यवस्था में सुधार के उद्देश्य से 1990 के दशक से लागू की गई कई पहलों के बावजूद यह समस्या बनी हुई है। हाल ही में, बढते हुए विविध परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, वितरित नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि, "प्रोस्यूमर" (जो ऊर्जा का उत्पादन और उपभोग दोनों करते हैं) के उद्भव और इलेक्ट्रिक वाहनों की अप्रत्याशित मांग से जटिलताएं उभरी हैं।
डिस्कॉम के लिए आवश्यक प्रमुख सुधारों में : (1) पुराने ग्रिडों का आधुनिकीकरण और नेटवर्क की प्रतिरोढ क्षमता बढ़ाने के लिए बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना, (2) बेहतर टैरिफ़ संरचनाओं और कम घाटे के माध्यम से वित्तीय स्थिरता स्थापित करना, (3) निर्णय लेने के लिए मज़बूत डेटा सिस्टम विकसित करना, (4) कृषि क्षेत्र में बिजली आपूर्ति में दक्षता बढ़ाने के लिए नवीन रणनीतियाँ बनाना, (5) कॉर्पोरेट प्रशासन को मज़बूत करना, (6) उपभोक्ता-केंद्रित सेवा सुधारों का विकास करना, और (7) वितरण नेटवर्क में नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत करना शामिल हैं। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए ग्रिड सुरक्षा को मज़बूत करने और उपभोक्ताओं को विश्वसनीय और कार्यक्षम बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु आधुनिक डिजिटल तकनीकों को अपनाना आवश्यक है।
दृष्टिकोण
चूंकि भारत में बिजली वितरण प्रत्येक राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए विश्व बैंक ने डिस्कॉम्स की दक्षता, विश्वसनीयता और वित्तीय स्थिरता बढ़ाने के लिए न केवल भारत सरकार के साथ, बल्कि राज्यों और क्षेत्रों के साथ भी सहयोग किया है। यह सहयोग नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण को बढ़ावा देता है, बुनियादी ढांचे को मज़बूत करता है, और एक स्वच्छ एवं अधिक उन्नतशील बिजली क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हरित हाइड्रोजन पहल को आगे बढ़ाता है। डिस्कॉम्स नवीकरणीय ऊर्जा सहित सभी प्रकार की ऊर्जा की खरीद करती हैं और वितरण से राजस्व अर्जित करती हैं; हालांकि, अधिकांश डिस्कॉम को भारी वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ता है। चूंकि बिजली वितरण राज्यों के अधिकार क्षेत्र में है और राज्य सुधार के विभिन्न रास्ते अपनाते हैं, इसलिए पूरे भारत में बिजली वितरण में स्थायी सुधार लाने के लिए राज्य-विशिष्ट चुनौतियों, आवश्यकताओं और परिपक्वता स्तरों को ध्यान में रखते हुए अनुकूलित समाधान आवश्यक हैं।
विश्व बैंक वर्ष 2014 से आंध्र प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर क्षेत्र के छह राज्यों में राज्य-स्तरीय ग्रिडों के आधुनिकीकरण में राज्य सरकारों और उपयोगिताओं की सहायता पर केंद्रित रहा है। इसका उद्देश्य विश्वसनीय, उच्च-गुणवत्ता वाली बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना, उपयोगिताओं की परिचालन और वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाना, नई तकनीकों को अपनाने में सहायता करना और संस्थागत क्षमता को मज़बूत करना है। विश्व बैंक निजी क्षेत्र की भागीदारी को आकर्षित करने वाले नवोन्मेषी व्यावसायिक मॉडल बनाने के लिए निवेश वित्तपोषण, नीति विकास और तकनीकी सहायता को एकीकृत कर रहा है।

