नई दिल्ली, 25 नवंबर, 2025—विश्व बैंक के कार्यपालक निदेशक मंडल ने आज भारत में दो परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनसे पंजाब राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ महाराष्ट्र राज्य में छोटे और सीमांत किसानों की आय बढ़ाने हेतु नवीन डिजिटल समाधानों का उपयोग करके 6 मिलियन से अधिक लोगों को लाभ होगा।
विश्व बैंक के भारत में कार्यवाहक कंट्री डायरेक्टर पॉल प्रोसी ने कहा, "डिजिटल बुनियादी ढांचे में वृद्धि, नवाचार को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और अन्य आवश्यक क्षेत्रों में परिणामों में सुधार करके आर्थिक विकास और गरीबी में कमी लाने की महत्वपूर्ण क्षमता रखती है।" उन्होंने आगे कहा कि "दोनों नई परियोजनाएं बेहतर नौकरियों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और फसल उत्पादकता में वृद्धि और बेहतर आजीविका के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करेंगी।"
पंजाब आउटकम्स-एक्सीलरेशन इन स्कूल एजुकेशन ऑपरेशन (POISE) कार्यक्रम ($286 मिलियन) पंजाब में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में सुधार करने में मदद करेगी। कार्यक्रम सुनिश्चित करेगा कि 13 लाख छात्र प्राथमिक विद्यालयों में और 22 लाख से ज़्यादा छात्र माध्यमिक विद्यालयों में नामांकित हों। इसके अलावा, 5,92,000 छात्रों को प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा में सहायता प्रदान की जाएगी। यह परियोजना विशेष रूप से विज्ञान और गणित पाठ्यक्रम में नामांकित छात्रों के लिए, नवाचार को बढ़ावा देने हेतु कंप्यूटर लैब, टैबलेट और प्रोजेक्टर स्थापित करके स्कूलों में डिजिटल बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने में सहायता करेगा।
कार्यक्रम की टास्क टीम की प्रमुख मेघना शर्मा और रैग्नवाल्ड मिशेल मैलबर्ग ने कहा, "पंजाब ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के परिणामों में सुधार के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। हालाँकि, व्यवस्थागत चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, जो शिक्षा सुधारों की निरंतरता को प्रभावित कर रही हैं।" उन्होंने आगे कहा, "पंजाब आउटकम्स-एक्सीलरेशन इन स्कूल एजुकेशन (POISE)पूर्व-प्राथमिक स्तर पर स्कूल की तैयारी, प्राथमिक स्तर पर बुनियादी शिक्षा, माध्यमिक स्तर पर स्कूल से उच्च शिक्षा या कार्य परिवर्तन के लिए कौशल, साथ ही शिक्षक प्रशिक्षण और स्कूल प्रबंधन में सुधार करने में मदद करेगा।"
महाराष्ट्र में जलवायु अनुकूल कृषि परियोजना (पीओसीआरए) का दूसरा चरण ($490 मिलियन) सटीक कृषि पद्धतियों में डिजिटल तकनीक को अपनाकर फसल उत्पादकता बढ़ाएगा और अनुकूलता को मज़बूत करेगा। यह विधि तकनीक का उपयोग करके यह सुनिश्चित करती है कि फसलों और मिट्टी को इष्टतम स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए आवश्यक सभी चीज़ें मिलें, जिससे उत्पादन अधिकतम हो और बर्बादी रुके। महाराष्ट्र के 20 लाख से ज़्यादा छोटे और सीमांत किसान, जिनमें 2,90,000 महिलाएँ हैं, बेहतर मृदा स्वास्थ्य, पोषक तत्व प्रबंधन और जल-उपयोग दक्षता से लाभान्वित होंगे। इससे महाराष्ट्र के 21 ज़िलों के छोटे किसानों के लिए जलवायु अनुकूलता में सुधार और आय के स्तर में 30 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
परियोजना के टास्क टीम लीडर रंजन सामंतराय और एडेमोला ब्राइमोह ने कहा कि “यह परियोजना कृषि मूल्य श्रृंखलाओं में डेटा एकीकरण, वास्तविक समय में निगरानी, रिमोट सेंसिंग और एआई के माध्यम से बाज़ारों तक तेज़ पहुँच के लिए बेहतर दक्षता सुनिश्चित करेगी। ग्रामीण समुदाय समूह, कृषि-तकनीक स्टार्टअप्स के साथ मिलकर बेहतर आजीविका के लिए स्थानीय निवेश का मार्गदर्शन करेंगे।"
पंजाब आउटकम्स-एक्सीलरेशन इन स्कूल एजुकेशन (POISE) परियोजना की अंतिम परिपक्वता अवधि 19 वर्ष है, जिसमें पांच वर्ष की छूट/रियायत अवधि शामिल है, तथा जलवायु अनुकूल कृषि पर महाराष्ट्र परियोजना (POCRA) चरण II परियोजना की अंतिम परिपक्वता अवधि 24 वर्ष है, जिसमें 6 वर्ष की छूट/रियायत अवधि शामिल है।