वाशिंगटन, 9 सितंबर, 2025 - विश्व बैंक के कार्यपालक निदेशक मंडल ने आज भारत में तटीय समुदायों के लिए एक नए कार्यक्रम को मंजूरी दी है, जिसके तहत पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और संरक्षण, प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने और तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में 100,000 लोगों के लिए अधिक और विविध रोजगार प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।
भारत की तटरेखा 11,000 किलोमीटर से भी लंबी है, जिसका एक-तिहाई हिस्सा कटाव और अत्यधिक जलवायु घटनाओं के कारण असुरक्षित है। लगभग 25 करोड़ लोग तटीय क्षेत्रों में घर बसातें है और आजीविका के लिए मत्स्य पालन, परिवहन और पर्यटन पर निर्भर हैं। यह तटरेखा वनस्पति और जीवों की 18,000 ज्ञात प्रजातियों के लिए आवास भी प्रदान करती है, जो तटीय समुदायों के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर और आजीविका के स्रोत हैं। लेकिन तटीय कटाव, प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़ने, मैंग्रोव वनों के निम्नीकरण और शहरी दबाव के संयुक्त प्रभाव से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में हैं।
विश्व बैंक की 212.64 मिलियन डॉलर की यह परियोजना (SHORE) एक व्यापक 850 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम का हिस्सा है, जो भारत में तटीय समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करेगा। यह परियोजना तमिलनाडु और कर्नाटक को अपने तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाओं को लागू करने में सहायता करेगी। इसके लिए, यह परियोजना उन्नत ज्ञान, कौशल विकास और सरकारी एजेंसियों व स्थानीय समुदायों के लिए धन का उपयोग करके 1,00,000 लोगों की मदद करेगी। यह महिलाओं सहित 70,000 लोगों को सतत पर्यटन जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण आय के नए स्रोत प्राप्त करने के लिए प्राप्त करने में भी मदद करेगी।
विश्व बैंक के भारत में कार्यवाहक कंट्री डायरेक्टर पॉल प्रोसी ने कहा, "भारत के विज़न 2030 ने अपनी आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए नीली अर्थव्यवस्था की क्षमता को मान्यता दी है।" उन्होंने आगे कहा, "यह परियोजना राज्यों को प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभावों को कम करने और चुनिंदा क्षेत्रों में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र के स्रोतों का उपयोग करने में मदद करेगी। उदाहरण के लिए, निजी क्षेत्र का हस्तक्षेप प्लास्टिक अपशिष्ट मूल्य श्रृंखलाओं को मज़बूत करने और पर्यावरण-अनुकूल समुद्र तटों के निर्माण में मदद कर सकता है, साथ ही तटीय समुदायों के लिए आर्थिक अवसर भी पैदा कर सकता है।"
यह परियोजना तमिलनाडु और कर्नाटक में 30,000 हेक्टेयर समुद्री परिदृश्यों के संरक्षण में मदद करेगी, जिसमें मैंग्रोव वृक्षारोपण, रेत के टीलों का जीर्णोद्धार और आवश्यकतानुसार ब्रेकवाटर जैसे हरित और धूसर बुनियादी ढाँचे का संयोजन शामिल है। इससे प्रवाल संरक्षण और डुगोंग, कछुए और पक्षियों जैसी प्रजातियों के संरक्षण में मदद मिलेगी।
कार्यक्रम के टास्क टीम लीडर दिनेश आर्यल, चबुंगबम सिंह और अवनीश कांत के अनुसार " तमिलनाडु भारत का पहला राज्य था जिसने 2019 में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया था। यह परियोजना रीसाइक्लिंग और प्लास्टिक रिसाव पर जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से तमिलनाडु और कर्नाटक में उपायों को बढ़ावा देगी, साथ ही शहरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए शहरी स्थानीय निकायों और निजी क्षेत्र के बीच की खाई को पाटेगी। प्लास्टिक प्रदूषण कम करने से 1,20,000 लोगों को लाभ होगा।"
अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (आईबीआरडी) की 212.64 मिलियन डॉलर की यह राशि SHORE कार्यक्रम ऋण के प्रथम चरण का हिस्सा है तथा इसकी अंतिम परिपक्वता अवधि 23 वर्ष है, जिसमें 6.5 वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है।