प्रेस विज्ञप्ति

विश्व बैंक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के सड़क विकास कार्यक्रम के बेहतर प्रबंधन में सहायता करेगा

30 नवंबर, 2010



वाशिंगटन, 30 नवम्बर, 2010: आज विश्व बैंक ने भारत के लिए 4.5 करोड़ डॉलर के तकनीकी सहायता ऋण को स्वीकृति प्रदान की, जिसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की संस्थागत क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि यह अपने बढ़ते हुए कार्यक्रमों का कुशलतापूर्वक प्रबंध कर सके और इन्हें चला सके।

भारत में कुल सड़क परिवहन का चालीस प्रतिशत राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) नेटवर्क से गुजरता है और वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी होने की वजह से आगे इस अंश में और वृद्धि हो सकती है। हाल के वर्षों में वाहनों की संख्या में होने वाली यह वृद्धि लगभग 10 प्रतिशत रही है। लेकिन, संपूर्ण राजमार्ग नेटवर्क का लगभग 30 प्रतिशत अभी तक एक गलियारे वाला (सिंगिल लेन), 53 प्रतिशत दो गलियारों वाला (डबल लेन) और केवल 17 प्रतिशत चार/छह/आठ गलियारों वाला (फ़ोर/सिक्स/एट लेन) है। यह मानते हुए कि राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क की दशा से संवृद्धि के ऊंचे स्तरों को बनाए रखने में बाधा पैदा हो सकती है, भारत सरकार ने वर्ष 2000 में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) शुरू की थी, जिसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(एनएचएआई) द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। अनुमान है कि भारत के सड़क क्षेत्र में अगले पांच वर्षों में लगभग 75 से लेकर 90 अरब डालर के निवेश की ज़रूरत होगी।

आर्थिक मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव वेणु राजमणि ने कहा, ‘‘भारत सरकार सड़कों के ढांचे में आर्थिक संवृद्धि में बाधक हर तरह की रुकावट दूर करने के लिए वचनबद्ध है तथा इसने भारत के बुनियादी राजमार्गों की क्षमता सुधारने की ज़िम्मेदारी एनएचएआई को सौंप दी है। विश्व बैंक से मिलने वाले तकनीकी सहायता ऋण से इस क्षेत्र में भूमंडलीय कार्य-व्यवहार अपनाने में मदद मिलेगी और जैसे-जैसे सड़कों के ढांचे से संबंधित यह महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम आगे बढ़ेगा, इसके नेटवर्क की संचालन (ऑपरेशनल) क्षमता में वृद्धि होगी।’’

इस परियोजना से एनएचएआई को अंतर-मंत्रालय समिति की सिफ़ारिशों पर अमल करने में भी मदद मिलेगी, जिसे इसका पुनर्गठन करने के लिए वर्ष 2008 में गठित किया गया था।

भारत में विश्व बैंक के कंट्री डाइरेक्टर रॉबर्टो ज़ाघा ने कहा, ‘‘देश में सड़कों के ढांचे में सुधार करने की ज़रूरत को समझते हुए सरकार की नेटवर्क में प्रतिदिन 20 किमी. नई या सुधरी हुई सड़क शामिल करने की योजना है। हाल तक यह दर 3 किमी. प्रतिदिन रही है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘विश्व बैंक को एनएचएआई के साथ काम करने पर प्रसन्नता है, जो इस राष्ट्रीय कार्यक्रम की रफ़्तार और क्वालिटी बढ़ा रहा है।’’

एनएचएआई के सामने अपने कार्यक्रम - कामकाज, जवाबदेही, संपदा-प्रबंधन (असेट मैनेजमेंट) और सुरक्षा - का स्तर बढ़ाने की चुनौती मौजूद है। जैसा कि सरकार ने हाल ही में इससे अपेक्षा की है, यह अपने आउटपुट में कई गुना वृद्धि करने की तैयारियां कर रहा है।

परियोजना से प्रशिक्षण कार्य में मदद मिलेगी, ताकि एनएचएआई अपने परियोजना-प्रबंधन, शोधकार्य तथा क्षमता के गठन, असेट मैनेजमेंट और संसाधन नियोजन, सार्वजनिक-सरकारी भागीदारियों, सामाजिक-आर्थिक तथा पर्यावरण संबंधी प्रभाव के मूल्यांकन, सुरक्षा, एचआईवी/एड्स की रोकथाम के जरिए और उपयुक्त दृष्टिकोण तथा कार्यव्यवहार अपनाते हुए अपने कामकाज में सुधार कर सके।

परियोजना के टीम लीडर राजेश रोहतगी ने कहा हैः ‘‘जैसे-जैसे अधिक सड़कें तेज़ी से पूरी हो रही हैं, हम एनएचएआई की भूमिका को केवल ढांचे का गठन करने वाले के रूप में नहीं, बल्कि इन महत्त्वपूर्ण आस्तियों (असेट्स) का बेहतर ढंग से प्रबंध करने वाले संगठन के रूप में देखते हैं। हम क्रियान्वयन के क्षेत्र में मौजूदा बाधाओं से निपटने, भावी तैयारियां करने और पहले से अच्छे असेट मैनेजमेंट और संसाधन-नियोजन के लिए उपयुक्त समाधान ढूंढ़ने में एनएचएआई की सहायता करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।’’

इंटरनेशनल बैंक फ़ॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से मिलने वाले इस ऋण की ग्रेस अवधि पांच वर्ष है और यह 18.5 वर्ष में देय है।

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प्रेस विज्ञप्ति नं:
2011/205/एसएआर

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